एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर कंपनी को दिवालिया घोषित करने की मांग की है।
एनसीएलटी ने बैंकों की याचिका को स्वीकार भी कर लिया है। वीडियोकॉन अब बैंकरप्सी कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के दायरे में आ गई है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई पीठ ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली है, वेणुगोपाल धूत की फ्लैगशिप कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर बैंकों का करीब 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है और वह चुकाने में अनियमित रही है।
वीडियोकॉन टेलीकॉम के खिलाफ बैंकरप्सी कोर्ट में दायर अर्जी पर सुनवाई हो सकती है। हालांकि, कंपनी का अब मामूली कारोबार है, लेकिन अब भी कंपनी पर 2000 करोड़ से लेकर 3000 करोड़ तक का लोन बकाया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनु, वीडियोकॉन ग्रुप की करीब एक दर्जन कंपनियों पर 44000 ककरोड़ का कर्ज है। सभी के खिलाफ लेनदारों ने मामला कोर्ट में डाला है। आरबीआई ने भी दिवालिया संहिता के तहत कर्ज समाधान वाली सूची में वीडियोकॉन को रखा है।
कर्ज चुकाने के लिए पिछले दो साल में वीडियोकॉन ने अपनी कई संपत्तियां बेची, इनमें केनस्टार ब्रांड को एवरस्टोन कैपिटल को बेचा गया है। वीडियोकॉन ने बैंकों को भेजे अपने आश्वासन पत्र में कहा था कि वह कर्ज चुकाने के लिए अपनी जमीन तक बेचेगी।