जीएसटी ने लगाई रेवेन्यू में सेंध, कर्ज़ में डूबी सरकार

एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com 

बुधवार को सरकार ने अगले 3 महीनों में और 50000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की जानकारी दी है। सरकार के अनुसार यह कर्ज इसलिए लिया जा रहा है, ताकि अलग-अलग योजनाओं की फंडिंग से जुड़े खर्चों और ब्याज का भुगतान किया जा सके। निश्चित समय वाली सिक्योरिटीज़ के माध्यम से सरकार यह कर्ज ले रही है। इस कर्ज को लेने का कारण सरकारी राजस्व की वसूली में आई कमी है और जुलाई में लागू होने के बाद से ही जीएसटी की वसूली में कमी आ रही है। 

नवंबर में जीएसटी के तहत 80 हजार 800 करोड़ की वसूली हुई थी, यह वसूली जो पिछले 4 महीने में सबसे कम मानी जा रही है। इसके अतिरिक्त पैसा लेने की वजह से वित्तीय घाटा 3.5 फीसदी तक पहुंच सकता है, जबकि लक्ष्य 3.2 फीसदी का रखा गया था। वित्तीय घाटे का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाने के कारण ऊंची ब्याज दर, महंगाई और निजी निवेश में कमी होना संभव है।
 
बता दें कि सरकार 2008-09 के बाद से ही वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर पाने में नाकाम रही है, लेकिन सरकार को भरोसा है कि विनिवेश का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा और घाटे को काबू में रखने के लिए पूंजीगत खर्च कम कर लिया जाएगा।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सरकार यह कर्ज निश्चित अवधि वाली सिक्योरिटीज़ के माध्यम से लेगी। 26 दिसंबर तक सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बाजार से कुल 3.81 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ मिलकर सरकार के कर्ज की समीक्षा के बाद इस कर्ज को लेने महत्वपूर्ण फैसला किया है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में बाजार से अतिरिक्त 50,000 रुपये का कर्ज लेने की बात निर्धारित की है। 

चालू वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने सकल और शुद्ध बाजार कर्ज का क्रमश: 5,80,000 करोड़ रुपये और 4,23,226 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था। इसमें से 3,48,226 करोड़ रुपये का सरकारी सिक्युरिटीज से तथा 2,002 करोड़ रुपये टी-बिल्स से जुटाने थे।  

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