न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह डॉट कॉम
भारत के डिजिटल हमले के बाद चीन की हेकड़ी निकल गई है। अब चीन दूसरे रास्ते से भारत में घुसकर धंधा करने के जुगाड़ में जुटा है। भारत को संदेह है कि चीन हॉंगकॉंग और सिंगापुर जैसे किसी थर्ड पार्टी के माध्यम से भारत में व्यापार और निवेश की कोशिश कर सकता है। चीन सामान बेचने के साथ ही निवेश की फ़िराक़ में भी है।
आंकड़ों पर गौर करें, तो पाएंगे कि जिन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), तरजीही व्यापार समझौते (पीटीए) या अन्य द्विपक्षीय कमर्शियल एग्रीमेंट है, उन देशों के जरिए चीन भारत में सामान और निवेश बढ़ा सकता है।
आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि चीन से कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश घटा है, लेकिन कई भारतीय फ़र्म को चीनी निवेश मिले हैं। इसी तरह, चीन से आयात में हाल ही में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन उसी समय हांगकांग और सिंगापुर से आयात में वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है और उसकी जांच की जरूरत है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के मुताबिक़, चीन के साथ भारत का व्यापार 2019 में 6.05 बिलियन डॉलर घटा है। यह अब 51.25 बिलियन डॉलर तक सीमित हो गया है। वहीं, 2019 में हांगकांग का व्यापार 5.8 बिलियन डॉलर के करीब बढ़ा है। इसी प्रकार, सिंगापुर के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले वित्तीय वर्ष में 5.82 बिलियन डॉलर था।
FIEO के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय सहाय ने बताया, “हांगकांग से प्रमुख आयात में जो उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, उनमें इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट शामिल है। 2017 में जहां 1.3 बिलियन डॉलर था वहीं, 2019 में 8.6 बिलियन डॉलर तक बढ़ा है।”