अनुज हनुमत,
कभी अपनी सुरीली आवाज के दम पर अपने प्रशसंकों के दिल पर राज करने वाली मशहूर गायिका मुबारक बेगम का मुंबई में सोमवार रात को निधन हो गया। 76 साल की मुबारक बेगम बहुत समय से बीमार चल रही थीं। पिछले साल बेटी की मौत के बाद से वो गहरे सदमे में थीं और आर्थिक मुश्किलों से भी जूझ रही थीं। 1950 से 1970 के दौरान हिंदी सिनेमा जगत में शानदार योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है।
कभी तन्हाइयों में हमारी याद’ आएगी जैसे खूबसूरत गीत देने वाली, अभिनेत्रियों को सुर देने वाली मुबारक बेगम बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टरों से लेकर मोहम्मद रफी तक के साथ काम कर चुकी थीं। इसके साथ ही उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों के साथ काम भी किया।
2011 में महाराष्ट्र सरकार ने बदहाली और बीमारी से जूझ रहीं मुबारक बेगम को एक लाख रुपये की मदद दी थी। लेकिन इसके बाद कहीं और से बड़ी मदद के हाथ उनके लिए आगे नहीं बढ़े। मुबारक बेगम दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं लेकिन उनकी मखमली आवाज का जादू शायद ही कभी कम होगा।
मुबारक बेगम को जिन गीतों के लिए हमेशा याद रखा जायेगा उनमे गीत ‘कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी..’ हमराही का ‘मुझको अपने गले लगा लो..’ खूनी खजाना का ‘ऐ दिल बता..’ डाकू मंसूर का गीत ‘ऐजी-ऐजी याद रखना सनम..’ प्रमुख हैं। उनके परिवार के अनुसार आज सुबह 9.30 बजे मुंबई के ओशिवरा कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया जाएगा। इस मौके पर बालीबुड की कई नामचीन हस्तियों के पहुँचने की उम्मीद है।