आनंद द्विवेदी
ब्यूरो
देश के सर्वोच्च न्यायिक प्रहरी सुप्रीम कोर्ट ने 9 राज्यों में सूखे के हालात पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगा दी है। कोर्ट ने बुधवार को कड़े शब्दों में कहा “आप (केंद्र) राज्यों की प्रॉब्लम्स को लेकर आंखें बंद नहीं कर सकते हैं। इससे निपटने के लिए जरूरी कार्यवाही करनी ही होगी। इस समय देश के 9 राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं। आप इनसे कैसे मुंह मोड़ सकते हैं। सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।”
कोर्ट ने ये भी पूछा कि सूखे से किसानों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है। इसके साथ ही मनरेगा को लेकर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है। एक समाजसेवी संस्था स्वराज अभियान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कोर्ट को दखल देने की अपील की थी, जिसपर कोर्ट ने संज्ञान लिया। पहले भी कोर्ट ने 12 राज्यों में सूखे पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के रवैए पर सवाल किये थे और इस याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट इन राज्यों में सूखे से निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र को भी ऑर्डर दिया जाए।
केंद्र सरकार के अनुसार, वो राज्यों को हर संभव मदद देने के लिए तैयार हैं। अगर कोई राज्य किसी इलाके को सूखा ग्रस्त होने की घोषणा करता है तो तुरंत हम उस जगह मनरेगा के तहत 100 दिन के काम की जगह 150 दिन के काम का पैसा रिलीज कर देते हैं।
महाराष्ट्र राज्य के ठाणे प्रशासन ने सूखे से निपटने के लिए टोल फ्री नंबर 1077 जारी किया है। पानी से सम्बंधित किसी भी तरह की समस्या के लिए कोई भी व्यक्ति इस नंबर पे फोन कर सकता है। राज्य के कई इलाकों में तालाब, नल के आसपास धारा 144 लगा दी गई है। लातूर के हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं, जहाँ लोग एक लीटर पानी के लिए भी तरस रहे हैं।
देश के अन्य राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना राजस्थान, गुजरात, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में भी सूखे जैसे हालत उत्पन्न हो चुकी है। बुंदेलखंड में तो बन्दूक के साए में पानी की रखवाली करने जैसे मामले सामने आ रहे हैं