नारायण सिंह
ब्यूरो – उत्तराखंड
ब्यूरो – उत्तराखंड
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने और केंद्र के लेखानुदान अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नैनीताल हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोजफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने अपना पक्ष रखने के लिए केंद्र की समय बढ़ाने की मांग को मान लिया।
कोर्ट ने कहा कि अब केंद्र व हरीश रावत 12 अप्रैल को इस मामले में सारे दस्तावेज हाई कोर्ट में दाखिल करेंगे। साथ ही इनका आपस में आदान-प्रदान भी होगा। 18 अप्रैल को इस मामले में फिर से सुनवाई होगी।
केंद्र की ओर से पैरवी करते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने स्पीकर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। केंद्र ने हरीश रावत की संशोधन की अर्जी पर जवाब के लिए फिर से समय मांगा। इस पर हरीश रावत की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने समय देने पर कड़ी आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि जानबूझकर मामले को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पीठों का फैसला है कि जितनी देर में 356 पर फैसला आएगा, हार्स ट्रेडिंग की उतनी ही संभावना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि केद्र राष्ट्रपति शासन हटाकर भाजपा की सरकार बनाने की फिराक मे है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगली सुनवाई की अवधि तक केंद्र सरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाकर सरकार बनाने का प्रयास न करे। इस पर उन्होंने कोर्ट से आदेश देने को कहा।