जटाशंकर पाण्डेय,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 19 जुलाई 2016को ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2016 को मंजूरी दी थी। भारत सरकार की कोशिश इस बिल के जरिए एक व्यवस्था लागू करने की थी, जिससे किन्नरों को भी सामाजिक जीवन, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में आजादी से जीने के अधिकार मिल सके, लेकिन तमाम कानून और व्यवस्थाओं के लागू होने के बावजूद ट्रांसजेंडर्स को समाज द्वारा स्वीकारा नहीं जा रहा है। इसी अस्वीकृति की शिकार हुई हैं देश की पहली ट्रांसजेंडर प्रिंसिपल मानबी बंडोपाध्याय।
मानबी बंडोपाध्याय पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर वुमन्स कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मानबी ने इस्तीफे के पीछे कॉलेज के कुछ टीचर और छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि कॉलेज के स्टाफ ने उन्हें सहयोग नहीं किया। मानबी का कहना है कि उनके पदभार संभालने के बाद से ही कॉलेज में उनके खिलाफ खेमेबाजी शुरू हो गई थी, जिस कारण कॉलेज का माहौल खराब हो गया। अपने खिलाफ घेराव और लगातार हो रहे प्रदर्शनों से तंग आकर मानबी ने आखिरकार 23 दिसंबर को अपना इस्तीफा दे दिया। मनाबी ने डेढ़ साल पहले प्रिंसिपल का पद संभाला था। मानबी वह देश की पहली ट्रांसजेंडर हैं, जो किसी शैक्षणिक संस्थान की प्रिंसिपल बनीं।
मानबी ने बताया, “मैंने 23 दिसंबर को डीएम को अपना इस्तीफा भेज दिया। मेरे सारे सहकर्मी और स्टूडेंट्स मेरे खिलाफ थे। मैंने कॉलेज में अनुशासन और स्वस्थ वातावरण बहाल करने की कोशिश की, लेकिन मेरी कोशिश नाकाम रही।”
दूसरी ओर, टीचर्स ने भी मानबी पर यही आरोप लगाए थे, जिसके चलते कॉलेज का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस विवाद को सुलझाने के लिए पिछले दिनों प्रशासन ने अफसरों की एक टीम को कॉलेज का दौरा करने भेजा था। टीम ने प्रिंसिपल-टीचर्स से बात भी की थी। मामले पर संज्ञान लेते हुए नादिया के डीएम सुमित गुप्ता ने कहा कि प्रिंसिपल मानबी का इस्तीफा उन्हें मिल गया है और उसे बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग को भेज दिया गया है। आगे की कार्रवाई विभाग करेगा और जल्द कोई फैसला लिया जाएगा। आपको बता दें कि वुमन्स कॉलेज की प्रिंसिपल बनने से पहले मानबी विवेकानंद सतोवार्षिकी महाविद्यालय में बांग्ला की एसोसिएट प्रोफेसर थीं।