कार्डिएक अरेस्ट से बचना है तो जरूर करवाए महिलाएं ये जांच

एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com

कार्डिएक अरेस्ट के कारण बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री श्रीदेवी का देहांत हो गया। डॉक्टरों की मानें तो कार्डिएक अरेस्ट में व्यक्ति के बचने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। ऐसे में दिल स्वस्थ न होने के चलते दिल की बीमारी होने की उम्मीद बढ़ जाती है। महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले हार्ट अटैक से मौत होने के चांसेस कम होते हैं, लेकिन यदि उन्हें हार्ट अटैक आता है तो ये पुरुषों के मुकाबले ज्यादा घातक होता है।  हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट आने की आशंकाएं 50 की उम्र के बाद बढ़ जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय-समय पर दिल से जुड़ी जांचे जरूर करवाई जाएं। 

ईकोकार्डियोग्राफी
ईकोकार्डियोग्राफी की मदद से पता चलता है कि दिल की मांसपेशियों को कितना खून मिल रहा है। इसके लिए हृदय की डॉपलर इमेजिंग होती है, जिससे किसी भी तरह के ब्लॉकेज का पता चल जाता है।   

ईसीजी
ईसीजी की मदद से दिल की धड़कन में जरा से बदलाव का भी पता चल जाता है। यदि धड़कन गड़बड़ आती है तो डॉक्टर सतर्क हो जाते हैं, क्योंकि दिल की बीमारी से जुड़े ये प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। 

स्ट्रेस टीएमटी
स्ट्रेस टीएमटी से शरीर को पहले थकाया जाता है और फिर ईसीजी लेकर देखा जाता है कि तनाव से हृदय की गतिविधि में कोई बदलाव तो नहीं आया है।  इस दौरान कसरत और आराम के दौरान लगातार हृदय की निगरानी करके देखा जाता है कि कोई गड़बड़ी तो नहीं है। 

कार्डिएक सीटी हार्ट स्कैन
कार्डिएक सीटी एक हार्ट-इमेजिंग टेस्ट होता है।  इसे तकनीक से दिल के कोरोनरी सर्कुलेशन, पल्मनरी वेंस और आर्टरी की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। 

मायोकार्डियल परफ्यूजन स्कैन
मायोकार्डियल परफ्यूजन स्कैन इससे पता लगता है कि रक्त के प्रवाह में कोई रुकावट तो नहीं और हृदय के संचालन तथा उसके लिए रक्त प्रवाह के बारे में बेहद जरूरी जानकारी मिलती है। टेकनेटियम जैसे रेडियोधर्मी आइसोटोप को ट्रेसर से टैग करने के बाद उसका इंजेक्शन लगाया जाता है और स्पेक्ट गामा कैमरे से चित्र लिए जाते हैं। 

 

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