एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम को कमजोर करने वाले अपने फैसले पर आज रेाक लगाने से इंकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से 3 दिन में राय मांगी है।
इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी। हालांकि अदालत ने इस केस में केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है। आज दोपहर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलीलों को सुनते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन किसी बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते एससी/एसटी एक्ट पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के चलते जैसे देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं। हजारों लोग सड़क पर हैं। इसके मद्देनजर इस आदेश पर रोक लगाई जाए।
इस मामले में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि, सरकार पूरी क्षमता के साथ सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर बहस करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा से उपेक्षित वर्ग के समर्थन में रही है और भाजपा ने ही देश को दलित राष्ट्रपति दिया है।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को आदेश दिया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अंतर्गत आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करना जरूरी नहीं होगा। प्राथमिक जांच और सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।