कोमल झा । Navpravah.com
Mumbai
दिल्ली ही नहीं बल्कि देश को दहला देने वाले 16 दिसंबर 2012 में सामूहिक बलात्कार की भयावह घटना को चार साल बीत चुके हैं। मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना अहम फैसला सुनाएगा। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानूमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा मिलेगी या नहीं।
गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए।
निर्भया कांड के एक साल गुजरने के बाद भी सरकार महज वादों से ही दिल जीतने की कोशिश में लगी हुई है। यह भी कम दुखद नहीं है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और शोषण के विरोध में कई दफा प्रतिक्रिया दे चुके तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली नेशनल मिशन अथॉरिटी (एनएमए) की एक भी बैठक इस साल नहीं हुई है। यही नहीं इसके सदस्यों की जिम्मेदारी भी अब तक तय नहीं की गई है।
पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि कुछ भी नहीं बदला। सरकारें भी बदल गई हैं। चार साल बीत चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं। पिछले चार साल में हम न्याय के लिए एक जगह से दूसरी जगह धक्के खा रहे हैं लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।’ मामले के छह अपराधियों में से एक युवक को पिछले साल रिहा कर दिया गया क्योंकि जब उसने इस अपराध को अंजाम दिया था जब वह नाबालिग था। एक अपराधी ने आत्महत्या कर ली थी जबकि चार अन्य अब भी जेल में बंद हैं। उन्होंने उन्हें सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की है।