देश की बेटी निर्भया को मिला इंसाफ कोर्ट ने नहीं दिखाया रहम, फांसी की सजा रखी बरकरार

कोमल झा Navpravah.com
Mumbai
निर्भया गैंगरेप काण्ड  में चारों गुनहगारों को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ मामले में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को फांसी की सजा बरकरार रखी है. बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। उसे बस से फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और निर्भया कांड नाम से चर्चित रहा था.
Nirbhaya
सजा पर फैसला सुनाने के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तालियां बजी. सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध के लिए माफी नहीं दी जा सकती है. जजों ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए फैसला बरकरार रखते हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की परिस्थितियों और इस अपराध ने ‘लोगों को हतप्रभ करने की सुनामी पैदा कर दी
चार दोषियों अक्षय कुमार सिंह, पवन, विनय शर्मा और मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के फांसी के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा था। निर्भया की मां ने कहा था, मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। दोषियों को सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुनाएगा और मेरी बेटी को न्याय देगा। निर्भया के पिता ने कहा था, दोषियों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। कोर्ट तो क्या, उन्हें भगवान भी माफ नहीं करेगा।
क्या हुआ था 16 दिसंबर, 2012 की रात?
दिल्ली में पैरा मेडिकल की स्टूडेंट 23 साल की निर्भया 16 दिसंबर की रात अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी। वह एक बस में अपने दोस्त के साथ बैठी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने उसे धोखे से बैठा लिया था। 6 बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था। 13 दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई थी। देशभर में गैंगरेप केस का जमकर विरोध हुआ था। एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगा ली थी। चार को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। घटना के वक्त जुवेनाइल रहे एक आरोपी को सुधार गृह भेजा गया था। 3 साल सजा काटने के बाद वह पिछले साल दिसंबर में रिहा हो गया।
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