शिक्षामित्र मामला: सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार आज रखेगी अपना पक्ष

डॉ. जितेंद्र पाण्डेय,

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक पाठशालाओं में कार्यरत शिक्षामित्रों की सेवा को स्थायी रूप से बहाल करने को लेकर राज्य सरकार आज अपना पक्ष रखेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा सचिव और विशेष सचिव को हाज़िर रहने की हिदायत दी है। साथ ही जस्टिस दीपक मिश्रा और सी. नागप्पन की पीठ ने यह चेतावनी दी है कि सुनवाई के दौरान यदि एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में घुसा तो मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी।

शिक्षामित्रों के लिए आज का दिन काफी अहम हो सकता है, क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के पक्ष में अपनी बात रखेगी। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि भारी संख्या में शिक्षामित्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए उच्चतम न्यायालय इनकी सेवा को स्थायी रूप से बहाल भी कर दे।

गौरतलब है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की भरपाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का विकल्प तैयार किया। शुरुआती दौर में तो मामूली रकम पर ही शिक्षामित्रों ने काम किया लेकिन कुछ समय के बाद जब शिक्षामित्रों ने वेतन बढ़ाने और स्थायी सेवा बहाल करने की तो विवाद शुरू हुआ। परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन को दो चरणों में पूरा किया। पहले चरण में 58726 और दूसरे चरण में 77000 शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया था।

इसी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस प्रकार के समायोजन को निरस्त करने का आदेश दिया, साथ ही नियुक्ति के संदर्भ में “शिक्षक योग्यता परीक्षा”(TET) को अनिवार्य बताया था। उच्च न्यायालय के इस फैसले ने शिक्षामित्रों की मुश्किलें बढ़ा दी। छिटफुट शिक्षामित्रों की आत्महत्याएं सुर्ख़ियों में बनी रहीं। ऐसी घड़ी में राज्य सरकार शिक्षामित्रों के साथ खड़ी नज़र आई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया का सभी को इंतज़ार है। देखना यह है कि एक लाख बहत्तर हज़ार शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट अपनी मुहर लगाता है या इसे अवैध करार देते हुए निरस्त करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.