शिखा पाण्डेय । Navpravah.com
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 67वें जन्मदिन पर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े ‘सरदार सरोवर नर्मदा बांध’ परियोजना का लोकार्पण किया। हालांकि इस परियोजना का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है, लेकिन ये परियोजना अपनी अनुमानित लागत से लगभग 8 गुना ऊपर जा चुकी है। बांध के उद्घाटन के मौके पर पूरे बांध को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सफेद, लाल और गुलाबी रंग की LED लाइट से सजे इस बांध की रंगत देखते ही बन रही है।
प्रधानमंत्री बांध के समीप ही बन रही सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशालकाय प्रतिमा ‘स्टेचू आफ यूनिटी’ के निर्माण में हुई प्रगति का जायजा भी लिया। मोदी इसके बाद वडोदरा के डभोई में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे। दोपहर 3.05 से 3.20 बजे के बीच वह अमरेली में अमर डेरी के नये प्लांट्स का उद्घाटन करेंगे और हनी प्रोडक्शन सेंटर का शिलान्यास करेंगे। दोपहर 3.40 बजे वह अमरेली के कमानी फारवर्ड हाईस्कूल ग्राउंड पहुंचेंगे जहां वह सहकार सम्मेलन में शामिल होंगे। यहीं पर वह वीडियो लिंक के जरिये हरे कृष्णा सरोवर का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही डेरी साइंस कॉलेज का भी उद्घाटन करेंगे।
क्या है सरदार सरोवर बांध की खासियत-
-सरदार सरोवर बांध गुजरात के केवाड़िया क्षेत्र में स्थित है।
-सरदार सरोवर बांध अमेरिका के ‘ग्रांड कोली डैम’ के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है।
-इस बांध के 30 दरवाजे हैं और प्रत्येक दरवाजे का वजन 450 टन है। हर दरवाजे को बंद करने में करीब एक घंटे का समय लगता है।
-हाल ही में बांध की उंचाई को 138.68 मीटर तक बढ़ाया गया है। इस बांध की क्षमता 4.73 मिलियन क्यूबिक पानी संचय करने की है।
-इस बांध से उत्पन्न होने वाली 57% बिजली मध्य प्रदेश में, 27% महाराष्ट्र में और शेष 16% गुजरात में जाएगी।
-सरदार सरोवर बांध का सबसे अधिक फायदा गुजरात को मिलेगा। यहां के 15 जिलों के 3137 गांवों के 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। गुजरात के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पाइपलाइन के ज़रिये पानी पहुँचाया जायेगा। राजस्थान के बाड़मेड़ और जालोर जिलों की तकरीबन 2 लाख 46 हज़ार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के करीब 37 हज़ार 500 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई हो सकेगी।
जानिए सरदार सरोवर बांध से जुड़े कुछ खास तथ्य-
-एक अनुमान के मुताबिक सरदार सरोवर बांध को बनाने में जितीन कंक्रीट का प्रयोग हुआ है, उससे जमीन से लेकर चंद्रमा तक सड़क बनाई जा सकती है।
-सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1946 में इस बांध की परिकल्पना की थी। इस पर काम 1970 के दशक से ही प्रारंभ हो पाया। इस बांध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 4 अप्रैल 1961 को रखी थी।
-नर्मदा बचाव आंदोलन की अगुवाई करने वाली मेधा पाटकर ने इस मामले को लेकर सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में घसीटा और 1996 में कोर्ट ने निर्माण पर रोक लगा दी। अक्टूबर 2000 में सर्वोच्च न्यायालय ने बांध के पुनर्ग्रहण की अनुमति दी।
– इस योजना की कुल लागत के हिसाब से यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी योजना है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में से सरदार सरोवर सबसे बड़ी बांध परियोजना है।
-मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में पड़ने वाली नर्मदा घाटी में 30 बड़े, 135 मझोले और 3000 छोटे बांध बनाने की योजना शुरू से ही हर मुद्दे पर विवाद में रही है।