नई दिल्ली. महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में नेशनल पॉप्यूलर रजिस्टर (NPR) को लेकर आपस में तकरार की स्थिति पैदा हो गई है। जहां सीएम उद्धव ठाकरे को NPR लागू करने में कोई दिक्कत नहीं, वहीं कांग्रेस-NCP ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस आलाकमान ने ठाकरे के NPR लागू करने को लेकर जताई गई सहमति पर बुधवार को नाराजगी जताई और याद दिलाया कि वह महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हमारा स्टैंड साफ है। हम NPR लागू नहीं करेंगे। उद्धव ठाकरे ने जो भी कहा है, वो उनका व्यक्तिगत मत है।’ उन्होंने कहा, ‘हम ठाकरे को बता दें कि कोई भी फैसला तीनों गठबंधन दलों को एकसाथ लेना चाहिए। उन्हें राज्य में NPR को लागू करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।’ वहीं, शिवसेना सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने NPR पर बहुत सोच-समकर फैसला लिया है। इसे वापस नहीं लिया जाएगा। साथ ही कहा कि NPR और भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) मामलों पर अलग-अलग रुख को लेकर गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है।
उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में NPR के लिए डाटा कलेक्शन (Data Collection) में कोई रुकावट नहीं डालेगी। उन्होंने कहा कि NPR नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) से अलग है। NPR जनगणना (Census) का हिस्सा है। NPR को हर 10 साल में अपडेट किया जाता है। साथ ही कहा कि उनकी सरकार राज्य में एनसीआर को समर्थन नहीं करेगी। जब उनसे नागरकिता संशोधन कानून 2019 (CAA 2019) पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इससे किसी भारतीय पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि NPR और जनगणना दोनों अलग हैं। केंद्र सरकार ने NPR में माता-पिता के जन्मस्थान और जन्मतिथि जैसे कई सवाल जोड़ दिए हैं। अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (BC) के अशिक्षित लोग अपने माता-पिता के जन्म स्थान व जन्मतिथि के बारे में नहीं बता पाएंगे। ऐसे में वे ऐसे लोगों के नाम के आगे ‘संदिग्ध’ (Questionable) लिख देंगे। फिर जब वे NRC लागू करेंगे तो कहेंगे कि इस व्यक्ति की नागरिकता संदिग्ध है। इसके बाद उसकी जांच की जाएगी। जांच पूरी होने तक उसे भारतीय नागरिक होने का कोई फायदा नहीं मिलेगा। उसे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया जाएगा। इसके बाद उसे एक प्रमाणपत्र के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।