प्रमुख संवाददाता,
अब कैराना विवाद को बढ़ाने में रही सही कसर पूरी करने के लिए इस विवाद में कूद पड़े हैं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी। कैराना से हिंदुओं के पलायन की खबरों के बीच अब ओवैसी ने दावा किया है कि साल 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद 50,000 मुसलमानों ने भी पलायन किया था। ओवैसी ने भाजपा से पूछा कि क्या वह एक तथ्यान्वेषी टीम मुज़फ्फरनगर भी भेजेगी, जैसा कि इसने हिंदुओं के कथित पलायन के मुद्दे पर कैराना भेजी है?
ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के कैराना से कथित तौर पर पलायन करने वाले 346 परिवारों की सूची को ‘फर्जी’ बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और सपा दोनों इस मुद्दे पर नाटक कर माहौल को अपने-अपने अनुकूल बनाने में लगे हैं। ओवैसी ने दावा किया कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 50,000 से अधिक लोगों ने अपना मूल स्थान छोड़ दिया, जहां वे पीढ़ियों से रहते आ रहे थे। उन्होंने दावा किया कि देश की आजादी के बाद अल्पसंख्यकों को सामूहिक रूप से हटाने के लिए यह सब किया गया था।
उन्होंने भाजपा के समक्ष सवाल खड़ा किया कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद विस्थापित हुए 50,000 लोगों के साथ क्या हुआ, उसका पता लगाने के लिए क्या भाजपा समय निकालेगी? क्या भाजपा अपनी तथ्यान्वेषी टीम भेजेगी? ओवैसी ने दावा किया कि मूल रूप से भाजपा के पास कोई और मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भाजपा सबका साथ सबका विकास की बात करती है, कैराना मुद्दे ने उस भाजपा का असली चेहरा उजागर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा बहुसंख्यक समुदाय के बीच डर की भावना पैदा करना चाहती है और सपा मुसलमानों को यह संदेश देना चाहती है कि यदि आप सपा को नहीं चुनते हैं तो आप असुरक्षित हैं। इस तरह यह नाटक भाजपा और सपा, दोनों के लिए अनुकूल बैठता है। उन्होंने कहा कि जब ऐसा मुद्दा सामने आता है तो सपा खुश होती है क्योंकि इसे अपने मकसद में नाकाम रहने और कुशासन पर सवालों का जवाब नहीं देना पड़ता है।
ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम अगले साल के शुरुआत में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में एक गठबंधन बनाने के लिए विकल्प खुले रखे हैं।