शिखा पाण्डेय,
केंद्र सरकार द्वारा जारी नोट बंदी के खिलाफ विरोधी पार्टियों की एकता में एक के बाद एक सेंध लगती नज़र आ रही है। नोटबंदी को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में मंगलवार को विपक्ष ने संसद के बाहर बैठक और संविधान क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें सभी विपक्षी दलों को शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से न्योता भेजा गया था, लेकिन बसपा, सपा, एनसीपी, सीपीआई, जेडीयू, सीपीएम जैसे प्रमुख विपक्षी दलों के प्रतिनिधि गायब रहे।
अब नोटबंदी के खिलाफ रैलियां करने जा रही राष्ट्रीय जनता दल की दोनों सहयोगी पार्टियों, कांग्रेस और नीतीश कुमार की जेडीयू ने 28 दिसंबर से बिहार में नोटबंदी के खिलाफ शुरू होने जा रहे उनके ‘महा धरना’ में शामिल होने से भी इनकार कर दिया है।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने मंगलवार को बताया,”जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काले धन के खिलाफ कदम के तौर पर नोटबंदी का समर्थन किया है। वे 50 दिनों के बाद नोटबंदी के प्रभाव की समीक्षा करेंगे। उससे पहले नोटबंदी के किसी तरह के विरोध के समर्थन या उसमें शामिल होने का सवाल हीं नहीं है।”
वहीं बिहार कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा ”नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी के धरने को कांग्रेस अपना समर्थन नहीं देगी।” आपको बता दें कि चौधरी बिहार के शिक्षामंत्री भी हैं।
गौरतलब है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने घोषणा की थी कि नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी सभी जिला मुख्यालयों पर 28 दिसंबर से जुलूस रैली करेगी। इसके बाद 2017 की शुरुआत में पटना में एक बड़ी रैली भी की जाएगी। 23 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत में राजद सुप्रीमो ने दावा किया था कि नीतीश 28 दिसम्बर को नोटबंदी के खिलाफ प्रस्तावित पार्टी के महारैली में शिरकत करेंगे। लेकिन 24 घंटे बाद लालू प्रसाद यादव अपने बयान से पलट गए। 24 दिसंबर को उन्होंने कहा, ‘‘मैं कौन होता हूं नीतीश कुमार को टर्म्स डिक्टेट करने वाला!”