‘गोरक्षा के नामपर नहीं होनी चाहिये हिंसा’ :सुप्रीम कोर्ट

एनपी न्यूज़ नेटवर्क | Navpravah.com

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में गोरक्षा की आड़ में होने वाली हिंसक घटनाओं पर रोष व्यक्त करते हुए कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि ऐसी हिंसा पर लगाम कसी जाए. तुषार गांधी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को ये निर्देश दिया है कि वे सप्ताह भर के अन्दर हर जिले में किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बतौर नोडल ऑफिसर नियुक्त करें जो ऐसी हिंसक घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकें. साथ ही राज्यों के मुख्य सचिव डीजीपी के साथ मिलकर हाईवेज़ पर पुलिस पेट्रोलिंग का खाका तैयार करें व रणनीति के अनुसार काम शुरू करें. ऐसी घटनाओं पर रोकथाम सरकार की प्राथमिकता बने.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों से अब तक ऐसी घटनाओं के सम्बन्ध में क्या कार्यवाई की गई इस सम्बन्ध में रिपोर्ट भी माँगी है. याचिका कर्ता की ओर से वकील इंद्रा जयसिंह ने ये कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ये कहे जाने के बावजूद कि ऐसी किसी भी हिंसक घटनाओं का केंद्र सरकार समर्थन नहीं करती, हिंसक घटनाएँ हो रही हैं. केंद्र सरकार ये कहकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि अगर कानून है तो उसे लागू करके हिंसा की घटनाओं को रोका जाए. हिंसा हर हाल में रुकनी ही चाहिए. इसके विरुद्ध फौरन करवाई हो और ये सुनिश्चित किया जाए कि कानून हाथ में लेने की अनुमति किसी को भी नहीं है. सुनवाई के दौरान ही याचिकाकर्ता को नसीहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें मालूम होगा कि कुछ ही दिन पहले कितने जानवरों को काटा गया है. उस विषय पर याचिका तो नहीं दाखिल की गई? बेहतर होगा मुद्दों पर राजनीति न की जाए.

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