एनपी न्यूज़ नेटवर्क | Navpravah.com
अयोध्या के मंदिर-मुस्जिद मुद्दे की सुनवाई आज से उच्चतम न्यायालय में शुरु हुई। इस सुनवाई से सभी को मुकदमें का फैसला जल्द आने के भरोसे के साथ ही उम्मीद बंधी थी कि जल्द ही ये फैसला होगा। लेकिन उच्चतम न्यायालय राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण में 8 फरवरी 2017 को सुनवाई करेगा।
न्यायलय ने इस अपील में एडवोकेट्स आन रिकार्ड को निर्देश दिया है कि वे एक साथ बैठकर यह सुनिश्चत करें कि सारे दस्तावेज दाखिल हों और उन पर संख्या भी लिखी हो। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई 2019 के आम चुनाव के बाद हो। इसके जवाब में यूपी सरकार की ओर से पेश हो रहे तुषार मेहता ने कहा कि जब दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के ही हैं, तो ट्रांसलेटेड कॉपी देने की जरूरत क्यों हैं? शीर्ष अदालत इस मामले में निर्णायक सुनवाई कर रही है।
30 दिसम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके मुताबिक, विवादित क्षेत्र की दो तिहाई जमीन हिन्दुओं और एक तिहाई मुस्लिमों को देने की बात कही गई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ विशेष पूर्णपीठ के आए आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 3 जजों की पीठ ने इस पर आज से सुनवाई शुरु हुई है और वे चाहते हैंं कि मामले का निपटारा जल्द हो और रोज-रोज के झंझट से मुक्ति मिले।
अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, राजीव धवन और सुशील जैन कर रहे हैं। वहीं भगवान राम लला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण और सी एस वैद्यनाथन और अधिवक्ता सौरभ शमशेरी अदालत में पेश हुए हैं।