शिखा पाण्डेय
नौकरीपेशा महिलाओं के लिए एक गुड न्यूज़ है। बहुचर्चित मेटरनिटी बैनिफेट एक्ट में संशोधन आज राज्यसभा में पास हो गया। इस मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक का मुख्य उद्देश्य कामकाजी महिलाओं के मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना है। इस प्रस्ताव के पास होने पर सरकारी के साथ साथ निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने राज्यसभा में गुरुवार को इस संशोधित विधेयक को पेश किया। संशोधन में महिलाओं के मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है। इसे शुक्रवार को लोकसभा में रखा जाएगा जहां सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। ऐसे में साफ है कि यह प्रस्ताव जल्द ही कानून का रूप ले लेगा।
इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि सरकार और उनका मंत्रालय पिछले डेढ़ साल से इस प्रस्ताव के लिए प्रयास कर रहा था। हालांकि इस प्रस्ताव को श्रम मंत्रालय की ओर से पेश किया गया।
मेनका ने बताया कि सरकार यह मानती है कि नवजात बच्चे को जन्म के बाद कम से कम छह माह तक मां का दूध जरूर मिलना चाहिए। ऐसे में जो महिलाएं नौकरीपेशा हैं उनके लिए जरूरी है कि उन्हें पर्याप्त अवकाश दिया जाए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह कानून 10 या इससे अधिक कर्मचारियों को काम पर रखने वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। इन संशोधनों में दो जीवित बच्चों के लिए मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना और दो बच्चों से अधिक के लिए 12 सप्ताह, कमीशनिंग मां और गोद लेने वाली मां के लिए 12 सप्ताह का अवकाश और 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए क्रेच का अनिवार्य प्रावधान शामिल है।