अनुज हनुमत,
इलाहाबाद। संगम नगरी को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। शहर के सभी बड़े और छोटे होटल बुक किये जा चुके हैं। पूरा प्रयाग पोस्टरों से पट चुका है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इलाहाबाद में कैसा आयोजन होने जा रहा है! आगामी 12 तारीख से बीजेपी अपने ‘मिशन यूपी’ की शुरुआत इलाहाबाद में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ करने जा रही है। इस मौके पर बीजेपी के सभी मुख्यमंत्री समेत पार्टी के सभी बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
सबसे ख़ास यहां पीएम मोदी भी उपस्थित रहेंगे। ये बात और है कि यूपी में पार्टी का चेहरा कौन होगा, इस पर संशय अब भी बरकरार है! लेकिन पार्टी सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इस बैठक में अगामी ‘मिशन यूपी’ के लिए एक ऐसे मजबूत नाम पर भी चर्चा होगी, जिसे आगे करके पार्टी यूपी का राजनीतिक किला फतह करना चाहेगी। सूत्रों की माने तो पार्टी चाहती है कि यूपी मिशन का नेतृत्व जो भी करेगा, कम से कम उसका राजनीतिक कद मायावती और मुलायम के बराबर का हो! नजरें योगी आदित्याथ, वरुण गांधी और स्मृति ईरानी पर भी होगी। एक खास बात ये भी है कि संगम नगरी इलाहाबाद में हो रहे इस आयोजन से बीजेपी यूपी में चुनावी बिगुल फूंकने जा रही है।
नवनियुक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद में हो रहे पार्टी के इस बड़े आयोजन से पूर्वांचल और बुन्देलखण्ड के एक बडे हिस्से की राजनीति भी साधने की कोशिश करेंगे । इस पूरे कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता इस बात पर मंथन करेंगे कि आने वाले दिनों में पार्टी की दशा और दिशा क्या हो। चर्चा की शुरुआत 12 जून को शाम पांच बजे अमित शाह के भाषण से होगी ।
पीएम मोदी पार्टी की रैली को करेंगे सम्बोधित-
13 जून को पार्टी अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पारित करेगी। आर्थिक प्रस्ताव को अंतिम रुप देने का जिम्मा महासचिव राम माधव को सौंपा गया। 12 जून को पीएम पार्टी पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करेंगे। कार्यकारिणी का समापन भी पीएम मोदी के संबोधन से ही होगा। कार्यकारिणी की बैठक के बाद पीएम पार्टी की रैली को भी संबोधित करेंगे। बीजेपी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री के मुताबिक कार्यकारिणी इसलिए भी अहम है क्योंकि यूपी में चुनाव आ रहे हैं। यूपी में वातावरण बनेगा और कार्यकारिणी से कार्यकर्ताओं में उत्साह आएगा।
बीजेपी की योजना है कि इस बार किसी तरह अपने पारंपरिक वोटों के साथ दूसरे दलों के वोट-बैंक में भी सेंध लगाई जाए। क्योंकि यूपी में 30 फीसदी दलित वोट जो मायावती के साथ जुड़ा है। मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाना इतना आसान कार्य नही है। बीजेपी की नजर इसी वोट बैंक में है, इसी के तहत हाल ही में दौरे पर आये पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह ने वाराणसी में दलित के घर भोजन भी किया। साथ में केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाना इसी रणनीति का हिस्सा है। हालाँकि यूपी में 24 फीसदी अगड़ी जाति के वोटर को बीजेपी अपना वोट बैंक मानती है। इसी वजह से मुख्तार अब्बास नकवी की जगह शिव प्रताप शुक्ला को तरजीह दी गई है और ये भी बहुत हद तक संभव है कि पार्टी अगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए भी अगड़ी जाति के ही किसी चेहरे को प्राथमिकता दे!
अभी हाल ही में पार्टी ने यूपी नए जिलाध्यक्षों और तमाम कमेटियों का गठन किया है। अगर हम इस पर नजर डालें तो पता चलता है कि पार्टी ने नियुक्ति के समय अपने गैर परम्परागत वोट बैंक को भी साधने का प्रयास किया है, जिसके तहत पार्टी ने 94 जिला और नगर अध्यक्षों में से 44 पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से नियुक्त किये हैं, जबकि अगर अगड़ी जाति की बात करें तो 29 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, 9 वैश्य और 4 दलित समाज से अध्यक्ष बनाए गए हैं। बहरहाल ये तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही बताएँगे कि पार्टी की गणित कितनी सही है! लेकिन एक बात तो है कि बीजेपी के इस आयोजन ने विपक्षी पार्टियों की बेचैनी जरूर बढ़ा दी है।