ब्यूरो | navpravah.com
पाकिस्तान के सियालकोट की एक मस्जिद में अज्ञात हमलावरों के द्वारा भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी शाहिद लतीफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। शाहिद लतीफ पंजाब के पठानकोट एयरबेस में हुए 2 जनवरी, 2016 के हमले का मास्टरमाइंड था। एनआईए ने यूएपीए के तहत शाहिद के खिलाफ केस दर्ज किया था। वो भारत सरकार के नामित आतंकियों की सूची में स्थान बनाए हुए था।
शाहिद तलीफ मूल रूप से पाकिस्तान स्थित पंजाब के गुजरांवाला अंतर्गत अमीनाबाद कस्बे के मोर गांव का रहने वाला था। वो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था एवं सियालकोट सेक्टर के कमांडर की जिम्मेदारी उसके कंधों पर था, जिसका मूल लक्ष्य भारत में आतंकवादी गतिविधियों को सुनियोजित करना, उनकी निगरानी करना और अंतिम अवस्था तक ले जाना यानी कि किसी भी हमले को संचालन से समापन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इसकी ही थी। इसलिए शाहिद लतीफ को जैश के लॉन्चिंग कमांडर के तौर पर भी जाना जाता है। पठानकोट हमलें के अलावा शाहिद लतीफ पर उन आतंकियों में भी शामिल होने का आरोप है, जिन्होंने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान को अगवा किया था।
शाहिद लतीफ को 12 नवंबर, 1994 में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में भारत में गिरफ्तार किया गया था। उस पर मुकदमा चलाया गया और जेल भेज दिया गया। भारत की जेलों में 16 साल की सजा काटने के बाद 2010 में तत्कालीन केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने गुडविल जेस्चर के तहत जेल से मुक्त कर दिया था, 2010 में तत्कालीन सरकार 25 आतंकवादियों को छोड़ा था उसमें से एक यह भी था।
भारत से आजाद होने के बाद शाहिद लतीफ वापस पाकिस्तान की उसी जिहादी फैक्ट्री में चला गया, जहां से वह आया था। इसके बाद उसने ना सिर्फ पठानकोट एयरबेस आतंकी हमले की योजना बनाई, बल्कि इस हमलें को अंजाम तक पहुंचाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
क्या था पठानकोट एयरबेस हमला?
पंजाब के पठानकोट स्थित एयरबेस में 2016 में आतंकी हमला हुआ था, यह हमला आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने करवाया था। आतंकी भारतीय सेना की वर्दी में घटनास्थल पहुंचे थे। सशस्त्र हथियारों से परिपूर्ण उन्होंने नृशंसता पूर्वक सैनिकों पर हमला किया था, जिसमें देश के 7 जांबाज सैनिक शहीद हुए थे एवं क़रीब 37 अन्य लोग घायल हो गए थे। सभी आतंकी भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रावी नदी के रास्ते भारत आए थे।
सबसे पहले भारतीय इलाके में पहुंचकर आतंकियों ने कुछ गाड़ियां हाईजैक कीं और पठानकोट एयरबेस की ओर बढ़ गए। बाद में, कैंपस की दीवार कूदकर, लंबी घास से होते हुए उस जगह पहुंचे, जहां सैनिक रहते थे। यहां उनका पहला सामना सैनिकों से हुआ। फायरिंग में चार हमलावर मारे गए और तीन जवान शहीद हो गए। अगले दिन एक आईईडी धमाके में चार और भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।