हार्ट अटैक ने ली दसवीं के विद्यार्थी की जान

पारुल पाण्डेय |navpravah.com

गुरुवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। दरअसल मुंबई के प्रभादेवी इलाके में रहनेवाले ऋत्विक को कल देर रात छाती में तेज़ दर्द हुआ। आनन-फानन में घर वाले जब नज़दीकी अस्पताल केईएम लेकर गए, तो चिकित्सकों ने ऋत्विक को मृत घोषित कर दिया।

दसवीं का छात्र ऋत्विक परीक्षा की तैयारी करके रात में लगभग 1 बजे सोया, डेढ़ बजे के आस-पास उसे अचानक दिल में झटके सा महसूस हुआ और जब तक उसे घर वाले अस्पताल लेकर पहुँचते, उसकी जान जा चुकी थी।

इस मामले में जब नवप्रवाह डॉट कॉम ने केईएम के डीन डॉक्टर अविनाश सुपे से पूछा, तो उन्होंने बताया कि ऋत्विक को बुधवार देर रात जब अस्पताल लाया गया तो उसे भर्ती करके तुरंत उसकी जाँच की गई, जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही ऋत्विक ने अपनी जान गंवा दी थी। उन्होंने बताया कि हृदय में तेज़ झटका आना ही मृत्यु की पहली वजह मानी जा रही है। डॉ. अविनाश सुपे ने बताया कि छात्र के शव को परिजनों को सौंप दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, दसवीं की परीक्षा की तैयारी कर रहा ऋत्विक अपनी माँ और दो बहनों के साथ प्रभादेवी के आदर्शनगर इलाके में रहता था और दादर स्थित शिशु विहार स्कूल में पढ़ रहा था।

एक ह्रदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार, हार्ट अटैक कई बार अनियमित जीवनशैली, कम व्यायाम और असंतुलित खानपान से दिल में ‘प्लाक’ जम जाता है। कम उम्र में भी हार्ट अटैक हो सकता है, लेकिन यह बहुत रेयर केस में पाया जाता है। हार्ट अटैक को डेवलप होने में कई साल लगते हैं, बच्चों में हार्ट अटैक आने के कुछ प्रमुख कारण होते हैं। चॅनेलोपॅथी और कार्डियोमायोपॅथी यह दो प्रकार होते हैं, जिसमें चॅनेलोपॅथी यानि ह्रदय को धड़कने के लिए इसमें नियमित तौर पर इलेक्ट्रिकल करंट का होना जरुरी है। यह करंट ज्यादा होने से भी दिक्कत आ सकती है। कार्डियोमायोपॅथी में हृदय का स्नायु असामान्य हो जाते हैं, जिसके चलते छोटे बच्चों में झटका आता है।

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