एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब जब सरकार को 6 महीने का समय दिया गया है, ताकि एक बार मे तीन तलाक़ के विषय में समुचित कानून बनाया जाए ऐसे में सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई संतोषजनक बयान या प्रतिक्रिया नही आइ है जिससे अनुमान लगाया जा सके कि केंद्र सरकार इस पर कितना अमल कर रही है।
नवभारत टाइम्स के ऑनलाइन पोर्टल पर प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, ” तलाक पर नया कानून बनाने को लेकर पत्रकारों की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘सरकार इस मसले पर संगठित तरीके से विचार करेगी। प्रथमदृष्ट्या सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट पढ़ने पर यह पता चलता है कि शीर्ष अदालत ने एक साथ तीन तलाक की प्रैक्टिस को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है।’ यह पूछे जाने पर कि एक साथ तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला किस प्रकार से लागू होगा और क्या इस फैसले को लागू कराने के लिए किसी नई व्यवस्था की जरूरत है, मंत्री ने कहा कि यदि कोई पति एक साथ तीन तलाक देता है तो इससे शादी खत्म नहीं मानी जाएगी।”
रिपोर्ट के मुताबिक रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट तौर पर कहा कि, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को एक साथ तीन तलाक देता है तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। शादी के प्रति उसकी जिम्मेदारियां बनी रहेंगी। इसके अलावा पत्नी भी उसकी पुलिस में शिकायत करने और घरेलू हिंसा के तहत शिकायत दर्ज करने को स्वतंत्र होगी।’
आज जब पूरे देश की मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई है वहीं सरकार के इस बयान से हो सकता है जनता कुछ संशय में पड़ जाए। फिर भी जब तक आधिकारिक तौर पर ये सामने नहीं आ जाता कि कानून बनाने के विषय मे सरकार का क्या स्टैंड है तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है।