सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई आज IIT खड़गपुर आए, पिचाई ने स्टूडेंट्स से बहुत सी बातें साझा की। पिचाई ने कहा कि, “गूगल में मेरा इंटरव्यू 1 अप्रैल 2004 को हुआ था। उस वक्त जीमेल लॉन्च हुआ था। इंटरव्यू में मुझसे जीमेल के बारे में पूछा गया, तो मुझे लगा कि ये अप्रैल फूल का जोक है। तीन बार जवाब नहीं दे पाया। चौथे इंटरव्यू में कुछ बोल पाया।” पिचाई बोले, “मुझे ये जॉब तब मिली, जब गूगल के को फाउंडर लैरी पेज ने इंटरव्यू लेना छोड़ दिया था।
पिचाई IIT खड़गपुर के एक ओपेन थिएटर में ‘अ जर्नी बैक टू द पास्ट टू इंस्पायर द फ्यूचर’ प्रोग्राम में स्टूडेंट्स से बात कर रहे थे। इस इवेंट में 3500 स्टूडेंट्स शामिल हुए। सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर से ही मेटालर्जिकल डिग्री हासिल की है। पिचाई ने कहा कि वे यंगस्टर्स को कुछ क्रिएटिव करते देखना चाहते हैं।
पिचाई ने कहा, पढ़ाई जरूरी है, लेकिन ये सबकुछ नहीं है। रिस्क लीजिए, अलग करने की कोशिश कीजिए। 20 साल पहले, मैं अमेरिका के लिए प्लेन में सवार हुआ। तब से इंडिया में काफी कुछ बदल गया है। आज 10 करोड़ लोग हर साल उड़ान भरते हैं। लेकिन, आज भी मेरा हॉस्टल वैसा ही दिखता है, जैसा 25 साल पहले दिखता था।
पिचाई ने आगे कहा कि पहले गर्लफ्रैंड को हॉस्टल से बुलाना मुश्किल था, उन दिनों स्मार्टफोन नहीं हुआ करते थे। इसलिए किसी लड़की को उसके हॉस्टल से बुलाना बेहद मुश्किल था और अंजलि को बुलाने के लिए गर्ल्स हॉस्टल के गेट पर जाना पड़ता था।
पिचाई ने कहा कि उन्होंने पहली बार कम्प्यूटर 20 साल पहले IIT खड़गपुर के कैंपस में ही देखा था। उस समय हमारे पास स्मार्टफोन नहीं हुआ करते थे और जब हम बड़े हो रहे थे, तो हमें कम्प्यूटर इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिला।
पिचाई ने स्टूडेंट्स से कहा, “मैंने भी कॉलेज बंक किया है, जब आप कॉलेज में होते हैं तो ये आपका हक होता है। मैं रातों को देर तक जागता था और फिर सुबह क्लास मिस कर देता था। लेकिन, इन सबके साथ-साथ मैं मेहनत भी करता था।
सुंदर पिचाई का जन्म 1972 में चेन्नई में हुआ। पिचाई ने अपनी बैचलर डिग्री आईआईटी खड़गपुर से ली है। उन्होंने अपने बैच में सिल्वर मेडल हासिल किया था। यूएस में सुंदर ने एमएस की पढ़ाई स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की और व्हार्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। वे 11 साल से गूगल में हैं। उन्होंने 2004 में गूगल ज्वाइन किया था। उस समय वे प्रोडक्ट और इनोवेशन अफसर थे।