आनन्द रूप द्विवेदी | Navpravah.com
बुधवार को राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने बतौर भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश शपथ ग्रहण की. जे.एस. खेहर भारत के पहले सिख मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस खेहर क कार्यकाल २७ अगस्त २०१७ तक है. मंगलवार को जस्टिस टी.एस. ठाकुर सेवानिवृत्त हो गये जिन्होंने जस्टिस खेहर को नामित किया.
जस्टिस खेहर का जन्म २८ अगस्त १९५२ में हुआ. उन्होंने चंडीगढ़ से स्नातक करने के पश्चात पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. जस्टिस खेहर ने एलएलएम में प्रथम स्थान प्राप्त किया. अपनी वकालत की शुरुआत उन्होंने १९७९ से की. प्रमुखतः वो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस करते थे.
१९९९ में जस्टिस खेहर हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने. २००९ में वो उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस बने. उन्हें बतौर चीफ़ जस्टिस कर्नाटक हाईकोर्ट में भी नियुक्त किया गया.२०११ में जस्टिस खेहर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किये गये.
बतौर न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने बेहद प्रेरणादायी काम किया. जजों की नियुक्ति की नई व्यवस्था देने वाले राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद करने वाली पीठ के मुखिया जस्टिस खेहर ही थे. 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में बतौर जज उन्होंने सरकार को चेताया था कि प्राकृतिक संसाधनों का
‘कौन सच्चा सिख है?’ इस सवाल पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस खेहर ने कहा था, “धर्म की अवधारणा वैसी ही होनी चाहिए जिस बुनियाद पर धर्म है, न कि वैसी जैसा हम चाहते हैं कि धर्म हो.” प्रधानमन्त्री पर आरोपों को लेकर दायर याचिका में जस्टिस खेहर ने वकील प्रशांत भूषण को जमकर फटकार लगाई थी.
भारतीय न्यायपालिका में जस्टिस खेहर की बतौर मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति पारदर्शिता और कानून व्यवस्था के हित में एक अहम दौर साबित होगा.