पीयूष चिलवाल । Navpravah.com
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में एक तरफ बच्चे दम तोड़ रहे थे तो दूसरी तरफ एक डाॅक्टर जी जान लगाकर बच्चों को एक एक सांस देने के लिए पूरी रात दौड़ता रहा।
इंसेफेलाइटिस के प्रभारी बाल रोग विशषज्ञ डाॅक्टर कफील अहमद पूरी रात बच्चों को बचाने की कोशिश में अपनी कार से पूरे शहर के चक्कर काटता रहा। जब अस्पताल में लगभग कोई भी डाॅक्टर मौजूद नहीं था ऐसे में डाॅक्टर कफील उन बच्चों के लिए मसीहा साबित हुए।
आधी रात को जब डाॅक्टर को यह मालूम चला कि अस्पताल में आक्सीजन खत्म होने वाली है तो डाॅक्टर बेचैन हो गए और मदद मांगने के लिए अपने मित्रों के अस्पताल पहुंच गए। वे रात भर अपने अलग अलग मित्रों के अस्पतालों से आक्सीजन सिलेंडर ढ़ोते रहे और अपने सभी परिचितों को जगा दिया।
लेकिन जब लगने लगा की यह सब काम नहीं करेगा तो उन्होंने एक गैस सप्लायर से संपर्क साधा जिसने नगद भुगतान की शर्त पर आक्सीजन की खेप पहुंचाने के लिए हामी भर दी तो उन्होंने अपनी जेब से पैसे भरकर अस्पताल में आक्सीजन का इंतजाम करने की कोशिश की। इतना ही कफील ने राज्य के कई शीर्ष अधिकारियों और गैस सप्लायर से संपर्क साधने की कोशिश की तो किसी ने भी उनका फोन नहीं उठाया।
लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। डाक्टर कफील की कोशिशें कुछ ही हद तक सफल हो पायी। अगर डाॅक्टर कफील ये कदम न उठाते तो शायद स्थिति और भयावह हो सकती थी।