सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
पूरे देश में छठ पूजा का महापर्व बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया, आज व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मईया की विधि विधान से पूजन शुरू की। देश भर में छठ पूजा का मुख्य आयोजन हुआ। महिलाओं ने शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया।
इलाहाबाद की व्रती महिला निर्मला ने बताया कि छठ पूजन जो कि बिहार और पूर्वांचल के साथ पूरे देश मे अब मनाया जा रहा है। छठ पूजा तीन दिनों की पूजा होती है, जिसमें प्रथम दिन व्रती महिलायें दिन भर व्रत के पश्चात रात में लौकी भात खाकर रहती हैं।
उसके दूसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर गंगा या किसी नदी के तट पर पहुँचती हैं और गंगा जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं।
उसके बाद महिलायें वापस अपने घरों को जाती है और दूसरे दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व फिर नदी तट पर पहुँचती हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं, इस प्रकार उनका निर्जला व्रत पूर्ण होता है।
बुधवार को व्रती महिलाओं ने रसियाव (गुड़ की बनी खीर) का सेवन कर 36 घंटे का निर्जला व्रत की शुरुआत की। नदी के किनारे मिट्टी की बनी सुसुबिता (छठी मइया का प्रतीक) का निर्माण किया। स्नानकर महिलाएं ने पानी में खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान सुख की कामना करती हैं।
पूजा के दौरान छठ मइया के गीतों के साथ पति या बेटा सिर पर बास की टोकरी में सभी मौसमी फल रखकर घाट तक जाते हैं। महिलाएं सूप में जलते दीपक और गंगाजल के साथ छठ गीतों के संग पीछे-पीछे चलती हैं। शुक्रवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण होगा। पूजा के दौरान कुछ लोग घाट पर ही रात बिताते हैं, तो कुछ घर वापस आते हैं, लेकिन रातभर छठ मइया के गीत गाते हैं।