रिपोर्ट –
अनुज हनुमत,
सहयोग- आशुतोष पाण्डेय (AU निशाचर)
इलाहाबाद। आज देश के सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय शिक्षण संस्थान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में विद्यार्थी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। शांतिपूर्ण मतदान के लिए विवि प्रशासन ने भी कमर कस रखी है। आज कैम्पस के हजारों छात्रों द्वारा अध्यक्ष पद पर 9, उपाध्यक्ष पद पर 8, महामंत्री पद पर 6, संयुक्त मंत्री पद पर 8 और सांस्कृतिक सचिव पद पर 8 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा।
इस चुनाव में सबसे ख़ास बात ये होगी कि मतगणना के समय सभी अध्यक्ष प्रत्याशियों को अंदर मौजूद रहने की अनुमति प्रदान की गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
नवप्रवाह मीडिया नेटवर्क्स द्वारा प्रथम तीन प्रत्याशियों की लोकप्रियता का ग्राफ और उस पर आधारित छात्रों का रुझान व संभावित नतीजे क्या हो सकते हैं, उसका पूरा विवरण देने का प्रयास किया गया है, जो इस प्रकार है –
Cap. -विगत एक हफ्ते का सैम्पल
विगत एक हफ्ते से लगातार ग्राउंड जीरों की रिपोर्ट के विश्लेषण के तहत रोजाना प्रथम तीन प्रत्याशियों की लोकप्रियता का आंकलन किया और उन्हें शून्य से लेकर 10 तक के स्केल पर सभी को अंक दिया गया। ग्राफ देखने पर यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अतुल नारायण सिंह का परफार्मेंस 23 सितम्बर से लेकर 29 सितम्बर तक लगभग एक समान रहा। दूसरे प्रत्याशी अजीत यादव का ग्राफ 23-29 सितम्बर तक उतार-चढाव भरा रहा और तीसरे उम्मीदवार रोहित मिश्रा शुरू में मध्यम रूप से लोकप्रिय रहे लेकिन जैसे जैसे मतदान की तारीख नजदीक आई विशेषकर दक्षता भाषण के उपरांत उनकी लोकप्रियता में काफी बढ़त देखी गई, जो कि ग्राफ में भी दर्शाया गया है।
स्विंग – ग्राफ में जो लाल क्षेत्र है, वो उन छात्रों को दर्शाता है जो अपने मत का निर्णय मतदान से एक दिन पहले लेते है अर्थात यदि प्रथम तीन प्रत्याशियों में से एक के प्रति इनका झुकाव हो जाये तो पूरा समीकरण बदल जाने की संभावना है। ये पूरा सर्वे प्रत्याशियों की रैलियों, साक्षात्कार, दक्षता भाषण माइक मीटिंग और अनगिनत वोटरों के अनेक जगहों पर लिए गए इंटरव्यू पर आधारित है।
सबसे ख़ास बात यह है कि आज होने वाले मतदान में तीनों उम्मीदवारों अतुल नारायण सिंह, रोहित मिश्रा और अजीत यादव ‘विधायक’ के बीच कड़ी टक्कर है, लेकिन यदि ये स्विंग वोटर्स अपने प्रत्याशी का दामन छोड़कर दूसरे प्रत्याशी के खाते में चले जाते हैं तो समीकरण बदल भी सकते हैं।
ये ग्राफ रिपोर्ट महज परिणाम से पहले एक आंकलन है। ग्राफ रिपोर्ट को जारी करने में देरी का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि दक्षता भाषण का विश्लेषण व उसके कारण हुई प्रत्याशी की लोकप्रियता का वैज्ञानिक विश्लेषण करने में पर्याप्त समय की जरूरत होती है ।तुरन्त किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना मैने और मेरी टीम ने उचित नही समझा ।सभी को पता है की अंततः विश्वविद्यालय के छात्र ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं । आपको बता दे की आज देर शाम तक चुनाव के परिणाम आ जायेंगे ।