विकास कुमार तिवारी । Navpravah.com
देश के सियासी मैदान में इस समय राष्ट्रपति पद का चुनाव है, और चारों तरफ इसी को लेकर हल्ला है कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा। इन सबके बीच एक बड़ी खबर यह आई कि हिमाचल प्रदेश के निकाय चुनाव में बीजेपी ने अपना लगातार जीत का सिलसिला जारी रखा। एक बार फिर अमित शाह और मोदी के नेतृत्व में इस चुनाव में भी केसरिया रंग मे शिमला को रंग दिया।
बीजेपी ने बीते तीन दशक में पहली बार शिमला नगर निगम में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन वह 18 सदस्यों के सामान्य बहुमत के आंकड़े को हासिल करने में नाकाम रही। यह खबर इसलिए भी बड़ी है क्योंकि यह कांग्रेस का गढ़ था। 26 सालों से कांग्रेस का वहाँ पर कब्जा था, पर इस बार वह केवल 12 वार्डों में सीमित रह गई, जबकि बीजेपी और उसकी समर्थित सदस्यों ने 17 वार्डों पर जीत हासिल की है।
एक वार्ड पर सीपीएम समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। वहीं 4 वार्डों पर निर्दलीयों ने कब्जा किया है। बता दें कि मतदान शुक्रवार को किया गया था,जिस में 58 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। चुनाव में निर्वासित तिब्बतियों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चेन्नई और कोलकाता के बाद शिमला सबसे पुराना नगर निगम है। चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी के बीच था। हालांकि उम्मीदवारों ने पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव नहीं लड़ा।
शिमला निकाय चुनाव में कुल 126 उम्मीदवार मैदान में थे। इससे पहले 2012 में सीपीएम ने सभी दलों को चौंका दिया था। खैर बीजेपी ने उन जगहों पर खासकर जीत हासिल की है जहाँ पर सीधे टक्कर मे कांग्रेस से थी। कांग्रेस अपनी रणनीति मे कोई खास परिवर्तन न कर पाने के कारण लगातार चुनाव दर चुनाव हार रही है।
साल 2012 में सीपीएम ने मेयर, उप मेयर और साथ ही एक पार्षद की सीट जीती थी| सीपीएम ने पिछली निकाय चुनाव अपना दबदबा बनाया था जो इस बार नही हो सका|
शिमला नगर निगम पर कांग्रेस ने लगातार 26 सालों तक राज किया है। ऐसे में ये नतीजे कांग्रेस के लिए झटका देने वाले हैं। मोदी लहर अगर इस तरह से स्थानीय निकय चुनावों में भी अपना असर दिखा रही है, तो कांग्रेस को अपने हार पर समीक्षा करनी चाहिए|