एनपी न्यूज़ नेटवर्क | Navpravah.com
अब ट्रेन डीजल इंजन से पटरियों पर नहीं दौड़ेंगी, डीजल इंजन पर रेल मंत्रालय रोक लगा रहा है। डीजल इंजन कुछ सालों बाद सिर्फ रेलवे के म्यूजियम में ही नजर आएंगे। डीजल इंजनों को बंद करने के लिए जो फैसला लिया गया है वह आर्थिक तौर पर सही कदम बताया जा रहा है, लेकिन इलैक्ट्रिफिकेशन का काम भारतीय रेलवे में बड़े पैमाने पर कई स्थानों पर होना बाकी है।
भारतीय रेल मंत्री की ओर से डीजल इंजनों को जल्द बंद करके रेल पटरियों पर बिजली से चलने वाले इंजनों को दौड़ाने के लिए एक साल का समय दिया गया था, लेकिन अधिकारियों द्वारा इतने कम समय में काम पूरा न किए जाने का हवाला देते हुए दो वर्ष और बढ़ा दिया गया है।
रेलवे के पास वर्तमान में 4400 बिजली के इंजन हैं और अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए 600 इंजन की और आवश्यकता पड़ेगी। अभी रेलवे प्रतिवर्ष केवल 250 इंजन तैयार करता है। रेलवे ने जो प्लान तैयार किया है, उसके मुताबिक हर साल डीजल इंजन के न होने से 10 हजार 500 करोड़ रुपये की बचत होगी। रेलवे ने इसके लिए 35 हजार करोड़ का बजट बनाया है। रेलवे को एक किलोमीटर का ट्रैक तैयार करने पर एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। अभी केवल आधे से ज्यादा रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया जा सका है।