एनपी संवाददाता | Navpravah.com
लोगों के मौत का सिलसिला आम हो गया है, अब कोई न कोई घटना हर दिन घट रही है, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के अस्पताल में हुई बच्चों की मौत की दुर्घटना के बाद एक और मामला सामने आया है। एबीपी न्यूज़ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार घटना बनारस BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल की है। बीते 6 और 7 जून को कई ऑपरेशन हुए, जिसके बाद कई मरीजों की मौत हो गई थी। वहीँ अस्पताल प्रशासन के मुताबिक तीन मरीजों की मौत हुई थी।
एबीपी न्यूज़ में भी प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार घटना बनारस के सर सुंदरलाल अस्पताल की है. बीते 6 और 7 जून को कई ऑपरेशन हुए, जिसके बाद कई मरीजों की मौत हो गई थी। वहीँ अस्पताल प्रशासन के मुताबिक तीन मरीजों की मौत हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अस्पताल में मरीजों को ऑक्सीजन की जगह दूसरी गैस दे दी गई, जिससे उनकी मौत हो गई। 20 लोगों की मौत हो गयी है, लेकिन अस्पताल का प्रशासन बस तीन लोगों के मरने का दावा कर रहा है। बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है।
इस मामले में पीड़ित परिवारों ने थाने में हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी. मामले की सरकारी जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मरीजों की मौत ऑपरेशन के बाद गलत ऑक्सीजन दिए जाने से हुई थी।
नेशनल हेराल्ड में प्रकाशित खबर में ये कहा गया है कि जांच कि रिपोर्ट के अनुसार मरीजों को ऑक्सीजन की जगह नुकसानदायक नाइट्रस ऑक्साइड गैस दे दी गई थी, जिससे मरीजों की मौत हो गयी. रिपोर्ट में ये खुलासा भी हुआ है कि इलाहाबाद की जिस पारेरहाट कंपनी को ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका दिया गया था, उसके पास ऑक्सीजन प्रोडक्शन का लाइसेंस है ही नहीं.
ये कंपनी इलाहाबाद सिटी नॉर्थ सीट से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल इस मामले की सुनवाई करते हुए इसकी जांच यूपी के स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर जनरल को सौंप दी है।
हाईकोर्ट ने अस्पताल प्रशासन से भी पूछा है कि जिस कंपनी के पास मेडिकल ऑक्सीजन के प्रोडक्शन का लाइसेंस तक नहीं है, उसे ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका कैसे दे दिया गया, साथ ही हाईकोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल चिकित्सालय के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से जवाब मांगा है।
(यह उक्त शीर्षक के सन्दर्भ में ABP News / National Herald में प्रकाशित ख़बरों पर आधारित विवेचना मात्र है)