एंटरटेनमेंट डेस्क । Navpravah.com
ऋतिक और कंगना के बीच छिड़ी जंग में ऋतिक के इंटरव्यू के बाद एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में फरहान अख्तर ने एक ओपन लैटर लिखकर इस मुद्दें पर चर्चा की। अब इस मामले पर अपनी राय देते हुए फिल्म ‘काबिल’ से ऋतिक की को-एक्ट्रेस यामी गौतम ने फेसबुक पर एक लैटर पोस्ट किया है।
यामी गौतम ने अपने लेटर में लिखा, “वैसे तो मैं सोशल मीडिया पर ज्यादा टीका टिप्पणी नहीं करती हूं, लेकिन आज मैं कुछ कहना चाहूंगी क्योंकि एक महिला के तौर पर मैं जो देख रही हूं वो मुझे बहुत डराता है। ये लैटर इंडस्ट्री के दो बड़े स्टार्स के बीच चल रहे विवाद को लेकर है। खुशकिस्मती से इनमें से एक के साथ मुझे काम करने का अवसर मिला। लेकिन मैं ये एक दोस्त या को-स्टार के तौर पर नहीं लिख रही हूं। मैं ये एक औरत और देश की नागरिक होने के तौर पर लिख रही हूं। मैं अपनी बात को संक्षेप में और यथासंभव निष्पक्ष तरह से रखने की कोशिश करूंगी।
मैं कानूनी जानकार नहीं हूं। मैं मीडिया के जरिये ही जानती हूं कि इस केस में क्या हुआ है, लेकिन अब यह एक जेंडर वार बन चुका है। इसमें आदमी को ही गलत ठहरा दिया गया है। लोगों ने सोच लिया है कि वह आदमी है, इसलिए वही दोषी है, क्योंकि ऐसा ही हमेशा से होता आया है. आदमी ने औरत को सदियों से प्रताड़ित किया है, तो इस मामले में भी ऐसा ही मान लिया गया है कि गलती आदमी की ही है। ये खतरनाक है।
यामी का कहना है कि हमें किसी को भी दोषी ठहराने से पहले कानून को ये साबित करने का मौका देना चाहिए कि असल में दोषी कौन है। उन्होंन लिखा, ‘मेरा कहना सिर्फ इतना है कि इसे जेंडर इश्यू न बनाया जाए। इसे दो लोगों के बीच की लड़ाई ही समझें। पहले तथ्यों को सामने आने दें, तब तक के लिए अपनी जजमेंट से किसी को भी दोषी करार न दें। ये लड़ाई एक आदमी और औऱत के बीच है, इसका ये मतलब नहीं कि इसे जेंडर फाइट बना दिया जाए।
मैं यहां किसी को दोषमुक्त कराने की कोशिश नहीं कर रही हूं, मैं किसी भी एक पार्टी द्वारा द्वेष की सलाह नहीं दे रही हूं। मैं बस इतना कह रही हूं कि इसे दो जेंडर्स के बीच का झगड़ा न बनाया जाए। आइए इसे दो लोगों के बीच की एक ऐसी लड़ाई रहने दें, जिनका अतीत में पत्राचार न हुआ हो। इस मामले की सभी बातों को सामने आने दिया जाए और तब तक हमारे जजमेंट को सुरक्षित रखा जाए।
बस क्योंकि एक आदमी और औरत के बीच की लड़ाई है, इसका ये मतलब नहीं कि ये दो जेंडर्स के बीच की लड़ाई है। इसी तरह हर मुद्दे को दो जेंडर के बीच की लड़ाई बनाने से समाज में इस तरह के सेक्सिस्ट इश्यूज से निपटते समय हमारा ध्यान भटक जाता है। ऐसी इश्यूज जो हमारे समाज को प्लेग की तरह ग्रसित करते हैं।”