सरकार आरटीआई नियमावली में कर रही बदलाव, आम जनता से मांगे सुझाव

शिखा पाण्डेय | Navpravah.com

केंद्र सरकार तमाम सामाजिक व सार्वजनिक मुद्दों पर आम जनमानस के सुझाव लेकर और अपने नियमों में सुधार या बदलाव कर, सही मायने में आम जनता की सरकार साबित हो रही है। केंद्र सरकार ने ‘सूचना का अधिकार’, यानी राईट टू इंफॉर्मेशन (आरटीआई) के तहत शिकायत और अपील करने के लिए नए नियम बनाए हैं, साथ ही नए नियमों के मसौदे को लेकर आम लोगों से राय मांगी गई है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए इन नियमों पर कोई भी व्‍यक्ति 15 अप्रैल तक अपने सुझाव दे सकता है।

सरकार के प्रस्‍तावित बदलाव के मुताबिक सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी)  को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह किसी भी शिकायत को दूसरी अपील का दर्जा दे सकता है। अर्थात आरटीआई एक्‍ट में जो व्‍यक्ति शिकायत वाली धारा के तहत आ गया है, सीआईसी उसे भी सूचना देने का आदेश दे सकती है। पहले ये व्‍यवस्‍था नहीं थी।

अन्य प्रस्तावित बदलाव-

-अपील करने वाले को नए नियमों के अनुसार यह अधिकार भी दिया जायेगा कि वह चाहे तो कमीशन की इजाजत से अपील वापस ले सकता है। लेकिन यह तब नहीं हो सकेगा, जब आरटीआई पर फैसला ले लिया गया हो।

-आरटीआई दायर करने के बाद अपील करने वाले व्‍यक्ति के पास शिकायत दर्ज करने के लिए 135 दिनों का समय रहेगा। उसे इसी दौरान अपनी शिकायत को कमीशन के पास रखना होगा।

-रूल्‍स में यह प्रावधान भी किया गया है कि शिकायतकर्ता को सीआईसी के पास जाने से पहले शिकायत व अपील की कॉपी सेंट्रल पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर (सीपीआईओ) में पेश करनी होगी। इसका एक प्रूफ भी कमीशन के पास सब्मिट करना होगा।

-अपीलकर्ता को कमीशन को यह भी डिक्‍लेर होगा कि जिस मैटर की वह शिकायत कर रहे हैं, उस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है या फिर वह कोर्ट में पेंडिंग है।

 -प्रस्तावित नियमों के मुताबिक अपील दायर करने वाले की मौत होने पर उस आरटीआई का प्रोसेस रद्द कर दिया जाएगा। यानी इस पर आगे कुछ नहीं किया जाएगा।

दूसरी तरफ आरटीआई नियमों में बदलाव के लिए सरकार की तरफ से कोई भी आधिकारिक जानकारी जारी न किए जाने से एक्टिविस्‍ट नाराज हैं। आरटीआई एक्टिविस्‍ट कमोडोर लोकेश बत्रा ने कहा, “सुझाव देने के लिए जो समय सरकार की तरफ से दिया गया है, वह काफी कम है। इसके अलावा कोई ऑफिशियल प्रेस रिलीज भी सरकार की तरफ से जारी नहीं की गई है। ऐसे में लोगों को कैसे पता चलेगा कि ऐसी कोई चीज डीओपीटी की वेबसाइट पर डाली गई है!”

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