एनपी न्यूज़ नेटवर्क | Navpravah.com
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सतत रूप से जारी रहेगी, कैबिनेट ने इस योजना को जारी रखने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी है।
यह 84,934 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत (केंद्र की हिस्सेदारी 52,900 करोड़ रुपए और राज्य की हिस्सेदारी 30,034 करोड़ रुपए) से 38,412 परिवारों को जोड़ने में मदद करेगी।
इसके दायरे में (250 से अधिक आबादी) बस्ती मार्च, 2019 तक आ जाएंगी. जबकि, पीएमजीएसवाई-II और एलडब्ल्यूई ब्लॉक के तहत के पहचान की गई बस्तियां (100-249 आबादी) मार्च, 2010 तक इसके दायरे में होंगी।
अब तक 95 प्रतिशत बस्तियां (1,69,415) आवंटित की जा चुकी है जिसमें से 91 प्रतिशत बस्तियों (1,54,257) को मुख्य मार्ग से जोड़ा जा चुका है, इसमें ऐसी 16,380 बस्तियां भी शामिल हैं जिन्हें राज्यों ने अपने संसाधनों से जोड़ा है, कुल आवंटित 6,58,143 किलोमीटर लंबी सड़क में से 5,50,601 किलोमीटर सड़क को पूरा किया जा चुका है।
पीएमजीएसवाई-II के तहत 50,000 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण लक्ष्य के मुकाबले करीब 32,100 किलोमीटर लंबी सड़क 13 राज्यों में आवंटित की गईं जिन्हें पीएमजीएसवाई-II में परिवर्तित कर दिया गया है. मार्च 2018 तक कुल आवंटन के मुकाबले 12,000 किलोमीटर लंबी सड़क के कार्य पूरे किए जा चुके हैं।
बता दें कि 12वीं पंचवर्षीय योजना 01 अप्रैल 2012, से शुरू होकर 31 मार्च, 2017 में समाप्त हो गई थी, चूंकि अब योजना आयोग का ही अस्तित्व नहीं है, इसलिए पंचवर्षीय योजना नामक स्कीम भी स्वत: ही समाप्त हो गई है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भी पंचवर्षीय योजना की एक महत्वपूर्ण योजना रही है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बात करें तो यह योजना 25 दिसंबर, 2000 को शुरू किया था, इस योजना के तहत गांवों को बारहमासी सड़क मुहैया कराना था, इस योजना के तहत मैदानी इलाकों के 500 या इससे अधिक आबादी वाले इलाकों को बाहरमासी (हर मौसम में काम करने वाली) सड़कों से जोड़ना है।
खास बात यह है कि इस योजना में आबादी से मतलब गांव या पंचायत न होकर ऐसी जगहों को भी शामिल किया गया जहां लोग लंबे समय तक बसते हैं, इसमें टोला, माजरा, देशम आदि बसावटें शामिल हैं।