काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ चुनाव में भी औंधे मुँह गिरी एबीवीपी

अनुज हनुमत,

बनारस। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों से ठीक पहले बनारस से ABVP के लिए बुरी खबर आई है। आज शाम काशी विद्यापीठ के छात्र संघ चुनावों के परिणाम जारी हुए, जिसमे चौकाने वाले परिणाम सामने आये।

आपको बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में मिली जबरदस्त जीत और जेएनयू में मिली करारी शिकस्त के बाद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में ABVP को एक बार फिर जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है। इन चुनावों में ABVP के हाथ सिर्फ महामन्त्री पद लगा, जिसमें अभाविप उम्मीदवार समीर मिश्रा को जीत हासिल हुई। उन्हें कुल 2270 वोट प्राप्त हुए।

सबसे ख़ास बात ये रही कि बाकि सभी पदों पर समाजवादी छात्रसभा की जीत हुई। अध्यक्ष पद पर अनूप कुमार सोनकर 2249 वोटों के साथ विजयी रहे। उन्होंने abvp के उम्मीदवार प्रशांत राय (1066 वोट) को बड़े अंतर से हराया। उपाध्यक्ष पद पर भी समाजवादी छात्र सभा के उम्मीदवार प्रेमप्रकाश गुप्ता की जीत हुई, उन्हें कुल 2155 वोट प्राप्त हुए। इस पद पर abvp के उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहे। पुस्तकालय मंत्री के पद पर भी समाजवादी छात्र सभा के अंगद यादव ने बाजी मारी, उन्हें कुल 966 वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में भी प्रत्याशियों द्वारा जमकर धनबल प्रयोग किया गया।

जानकारों की मानें तो इस चुनाव में तमाम प्रत्याशियों द्वारा कुल 50 लाख रूपये खर्चा हुए। मतदान से ठीक पहले एक आडियो रिकार्डिंग भी वायरल हुई, जिसमें एक खास पैनल के कुछ प्रत्याशियों द्वारा सीधे तौर पर वोट खरीदने के लिए मोटी रकम की पेशकश की जा रही थी।

Abvp ने आरोप लगाया कि कुछ खास पैनल के प्रत्याशी धनबल और बाहुबल के प्रयोग से चुनाव जीते हैं और इन्होंने वोटों की खरीद फरोख्त भी की है। जीते हुये प्रत्याशियों में ऐसे सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि कुछ लोगोंको जीत पच नही रही है । अभी तो ये जाँच का विषय है लेकिन ऐसे चुनावों में ऐसे घृणित कार्य आम बात हो गए हैं ।

कुलमिलाकर इस चुनाव परिणाम ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में Abvp पैनल के ऊपर दबाव बढ़ा दिया है। आज काशी विद्यापीठ में मिली करारी हार के बाद संगठन के प्रति कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी फूटा। कई कार्यकर्ताओं की मानें, तो इस हार के लिए संगठन के अंदर हुई भीतरघात जिम्मेदार है, जिसे अगर सही समय पर सुधार लिया जाता तो आज ऐसी करारी हार न मिलती। कुछ ने माना कि गलत तरीके से टिकट वितरण किया गया। सच्चाई चाहे कुछ भी हो लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आ रहे छात्र संघ चुनावों के ऐसे परिणाम अभाविप और भाजपा के लिए ठीक नहीं, क्योंकि इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.