ब्यूरो
एक कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अधिकारियों को चेतावनी दे डाली कि सिस्टम को सिस्टम की तरह न रहने दिए जाने को वो बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे। सिविल सर्विस दिवस पर दिल्ली सचिवालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें अरविन्द केजरीवाल ने नौकरशाहों द्वारा सिस्टम में की जाने वाली राजनीति के वशीभूत हड़ताल जैसे कदम उठाये जाने पर आपत्ति जताई।
दरअसल 31 दिसंबर 2015 को दानिक्स और आईएएस अधिकारी सामूहिक हड़ताल पर चले गये थे। सीएम केजरीवाल ने कहा, “ उस हड़ताल ने मुझे बहुत ठेस पहुंचाई थी। सिस्टम को सिस्टम ही रहने दें। जिन्हें राजनीति का शौक हो वो त्याग पत्र दें और चुनावी मैदान में आ जाएँ।
केजरीवाल ने ऑड-इवेन शुरू होने के पहले ही अधिकारियों के हड़ताल में चले जाने के पीछे केंद्र सरकार का हाथ बताते हुए कहा कि अधिकारियों ने केंद्र सरकार के कहने पर ही हड़ताल की थी। ऐसा उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होगा। काम करने वाले अधिकारियों के साथ सरकार है।
काम करने में यदि कोई गलती हो जाती है, तो भी सरकार आपके साथ है, लेकिन गलती जान बूझकर नहीं की जानी चाहिए। सिविल सर्विस डे की बधाई देते हुए केजरीवाल ने कहा कि कई अधिकारियों ने बेहतरीन कार्य किये हैं और सरकार की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।
कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सिविल सर्विस डे की तर्ज़ पर ही पॉलिटिकल डे भी मनाया जाना चाहिए। जहाँ पर सभी राजनीतिक लोग अपनी बात एक साथ एक मंच पर कह सकें। उन्होंने कहा कि हम यहाँ जनता के लिए बेहतरीन तरीके से काम करने के उद्देश्य से आए हैं। आप लोगों का भी यही नजरिया है और सरकार बेहतर ढंग से चले इसके लिए बेहतर प्रशासन और काम जरूरी है।
देखने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार की सीढ़ियों के सहारे सत्ता पर चढ़ने वाले केजरीवाल जिन अधिकारियों को शौकिया राजनीति करने का ज्ञान देते नजर आये और इस्तीफ़ा देकर चुनावी मैदान पर उतरने को कह गए, क्या वो खुद इसी शौक के चलते इस्तीफ़ा दे बैठे और चुनावी मैदान में कूद पड़े।