अमित द्विवेदी
रेटिंग-/5
फ़िल्म समीक्षा – की & का
निर्माता- एरोस इंटरनेशनल
लेखक-निर्देशक- आर. बाल्की
संगीत- इल्याराजा
लेखक-निर्देशक- आर. बाल्की
संगीत- इल्याराजा
आर. बाल्की की इस फ़िल्म का इंतज़ार दर्शक काफी समय से कर रहे हैं. चीनी कम, पा और शमिताभ जैसी बड़ी फिल्में निर्देशित करने वाले बाल्की से इस बार भी दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं कि क्या ख़ास है फ़िल्म की & का में.
फ़िल्म दो युवाओं के इर्द गिर्द घूमती है. एक लड़की है जिसे ज़िन्दगी में बहुत काम करके नाम कमाना है और लड़का जिसके पास परिवार का सबकुछ होता है लेकिन वो अच्छे से जीवन जीना चाहता है. उसका फंडा है कि जितनी ज़रूरत है अगर उतना मिल जाए तो ज़िन्दगी को जीना चाहिए न कि उसे और आगे बढ़ाने के चक्कर में जो मिला है उसका भी मज़ा न ले पाएं.
कहानी-
फ़िल्म में कबीर (अर्जुन कपूर) एक बड़े बाप का लड़का है, जो एमबीए टॉपर है और किया (करीना कपूर) एक एडवरटाइजिंग एजेंसी में बड़े पद पर कार्यरत है. दोनों की मुलाक़ात हवाई जहाज़ में होती है. कबीर को फ्लाइट की विंडो सीट के पास बैठकर रोते हुए देखकर किया उससे वजह पूछती है. दोनों की दोस्ती हो जाती है और तभी किया को पता चलता है कि कबीर दिल्ली के सबसे बड़े बिज़नेसमैन का बेटा है लेकिन उसे अपने बाप के बिज़नेस में ज़रा सा भी इंटरेस्ट नहीं है और वो कुछ अलग ही करना चाहता है.
दोनों की कुछ ही समय में गहरी दोस्ती हो जाती है और एक दिन कबीर किया को शादी के लिए प्रपोज़ करता है. दोनों तय करते हैं कि वे शादी करेंगे लेकिन किया ऑफिस में काम करेगी और कबीर घर संभालेगा. यही कहानी का बेस है. दोनों की शादी होती है. सब सही चल रहा होता है. एक दिन किया का प्रमोशन होता है और वो ख़ुशी में एक चैनल को इंटरव्यू देते समय बताती है कि उसकी सफलता का श्रेय उसके पति को जाता है, जो आईआईएम का टॉपर होने के बावजूद अच्छे से घर का काम काज देखता है और वो अपने सपने को साकार कर पा रही है. इस बात से मीडिया वाले काफी प्रभावित होते हैं और कुछ ही समय में कबीर काफी पॉप्युलर हो जाता है. यह देखकर किया को अच्छा नहीं लगता कि उसका पति उससे ज़्यादा मशहूर हो रहा है. यहीं से फ़िल्म एक नया मोड़ ले लेती है.
फ़िल्म इंटरवल के पहले काफी ढीली और बोरिंग है लेकिन इंटरवल के बाद अपनी पकड़ मज़बूत बनाती है. प्रोडक्ट्स की इन फ़िल्म ब्रांडिंग इतनी ज़्यादा है कि कुछ समय के लिए लगता है हम किसी प्रोडक्ट की कॉर्पोरेट फ़िल्म देख रहे हैं.
फ़िल्म में करीना की अदाकारी प्रभावित करती है लेकिन कुछ दृश्य ऐसे भी हैं फ़िल्म में जो अनावश्यक लगते हैं. आर. बाल्की अर्जुन कपूर से कैसे प्रभावित हुए, जो कबीर के रूप में उन्होंने उनका चुनाव किया यह नहीं समझ आया. अगर निर्देशक बाल्की ऐसे दृश्यों को न डालते तो शायद फ़िल्म की पकड़ और मज़बूत होती.
संगीत- इलयाराजा का बैकग्राउंड स्कोर और संगीत चीनी कम से अधिक लिया हुआ सहयोग लगता है. संगीत में कुछ कमाल नहीं कर पाई है संगीतकारों की टीम.
क्यों देखें- वीकेंड में कुछ बेहतर विकल्प न हो तो.
क्यों न देखें- फ़िल्म में कबीर के फैसले में अलावा कुछ भी ख़ास नहीं है.