इलाहाबाद विश्वविद्यालय:छात्र संघ पदाधिकारियों ने शुरू किया आमरण अनशन, महामंत्री ने कुलपति पर लगाए गम्भीर आरोप

 

मौसम ने भी करवट लेनी शुरू कर दी है और इधर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आनलाइन और आफलाइन प्रवेश परीक्षा की मांग को लेकर धरने पर बैठे छात्र संघ पदाधिकारियों सहित छात्र नेताओं का क्रमिक अनशन भी बीते बुधवार को आमरण अनशन में बदल गया। आपको बताते चलें कि पिछले दो दिनों से आनलाइन परीक्षा के  विवाद को लेकर विवि प्रशासन और अनशन पर बैठे छात्र संघ पदाधिकारियों के बीच  तनातनी अभी भी लगातार जारी है, जिसके कारण कैम्पस का माहौल गर्म बना हुआ है।

बीते बुधवार को सुबह से विवि के छात्र संघ भवन गेट पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था क्योंकि धरने के दूसरे दिन छात्र संघ अध्यक्ष रिचा सिंह ने अगले दिन आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी ,हुआ भी यही और सुबह ११ बजे से ही कैम्पस में छात्र नेताओं का जमावड़ा लगने लगा और रिचा सिंह ,सिद्धार्थ सिंह ‘गोलू’ ,विक्रांत सिंह ,श्रवण जायसवाल ,अजीत विधायक , सूर्य कुमार मिश्र समेत तकरीबन आधा दर्जन छात्र नेता अपनी मांगों के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए। आपको जानकारी के लिए बता दें कि बीते मंगलवार को ही चीफ प्राक्टर ने कुलपति कार्यालय पर किसी भी प्रकार के अनशन पर रोक लगा दी थी। इसी कारण दोपहर में कड़ी धूप के बीच पुलिस ने सभी अनशनकारियों को अनशन स्थल से हटने के लिए कहा पर सभी छात्र नेताओं ने मना कर दिया। इसको देखते हुए पुलिस  बर्बरता पूर्ण तरीके से जबरन सभी अनशनकारियों को पुलिस वैन में बैठाकर पुलिस लाइन ले गई , जहां पुलिस ने सभी को घंटों बैठाए रखा और इस शर्त पर छोड़ा कि आप शांतिपूर्ण तरीके से अपना आमरण अनशन जारी रख सकते हैं पर कुलपति कार्यालय पर अपना अनशन नहीं करेंगे। इसके बाद सभी छात्र नेता छात्र संघ भवन पर आए और सभी के बीच लगभग एक घंटे की लम्बी बैठक चली, जिसके बाद निर्णय लिया गया कि आमरण अनशन लगातार जारी रहेगा और आज वे वहीँ छात्र संघ भवन पर ही  आमरण अनशन पर बैठेंगे और कल फिर कुलपति कार्यालय की तरफ कूंच करेंगे।

उधर इस पूरे घटनाक्रम के बीच महामंत्री सिद्धार्थ सिंह ‘गोलू’ ने कुलपति पर बेहद गम्भीर आरोप लगाए जिसने इस विवाद को पेचीदा बना दिया है।  गोलू ने पुलिस अधीक्षक को लिखे अपने पत्र में कुलपति के ऊपर आरोप लगाते हुये कहा कि उन्होंने मुझे आंदोलन से अलग होने के लिए एक मोटी रकम देने का प्रस्ताव रखा और साथ में विवि में अपने किसी भी मनचाहे कोर्स में एडमिशन लेने का प्रस्ताव रखा और कहा कि आप विवि छोड़कर चले जाएँ नहीं तो आपको निलम्बित कर दिया जायेगा।  बहरहाल महामंत्री सिद्धार्थ सिंह गोलू द्वारा कुलपति के ऊपर लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है ये तो आने वाला समय बताएगा पर इतना तो स्पष्ट है की विवि प्रशासन और छात्र संघ के बीच छात्र हितों को लेकर शुरू हुई ये लड़ाई अब अपने हितों और व्यक्तिगत छवि को संवारने और बचाने की होती प्रतीत हो रही है।  अब देखना दिलचस्प होगा की आज आमरण अनशन के दूसरे दिन विवि प्रशासन क्या रुख अख्तियार करता है।

 

आनलाइन- आफलाइन की मांग को लेकर शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान –

एक तरह विवि कैम्पस में आनलाइन प्रवेश परीक्षा को लेकर  माहौल गर्म है और इस मुद्दे के कारण अभी तक विवि में दो ही पक्ष दिख रहे थे जिनमें एक पक्ष आनलाइन परीक्षा के समर्थन में है और दूसरा पक्ष आनलाइन -आफलाइन दोनों की मांग को लेकर बीते सोमवार से अनशन पर बैठा है। वहीँ एक तीसरा पक्ष ऐसा है जिसने इसी विषय पर छात्रों का रुख जानने के उदेश्य से  हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की है।  आनलाइन और आफलाइन विकल्प की मांग लेकर महिला परिसर के सामने छात्र प्रतिनिधि  नलिनी मिश्रा के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें यह जानने की कोशिश की गई की आम छात्र क्या चाहते हैं ? नलिनी ने बताया की अभी तक इस हस्ताक्षर अभियान में आनलाइन और आफलाइन में छात्रों की राय मिलीजुली सामने  आ रही है।  हमारे इस कार्यक्रम की बहुत से छात्रों ने सराहना की है और हम अब इसके बाद अपने इस अभियान को और आगे बढ़ाएंगे और तमाम छात्रों से उनकी राय जानने की कोशिश करेंगे। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रुचि जायसवाल , सीमा , रामबाबू तिवारी समेत कई छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

 

छात्र आंदोलन में आम छात्र नहीं ले रहे रूचि –

भले ही छात्र नेताओं की मांग सही हो या गलत लेकिन लोकतंत्र में लोगों की संख्या ही मायने रखती है।  इस छात्र संघ के आंदोलन में छात्रों का समर्थन न मिल पाना बहुत ही दुखद है। अगर छात्र नेता केवल आनलाइन- आफलाइन के मुद्दे को ही देख रहे हैं तो उन्हें अपने पीछे खड़े छात्रों की संख्या को भी देखना चाहिए।  बहरहाल हो सकता है कि इस मुद्दे पर छात्र नेता कुछ ऐसा देख पा रहे हों जो छात्रों को न दिख रहा हो ,हो सकता है कि छात्र नेता ही सही हों पर इस मुद्दे पर व्यापक बहस की आवशयकता है।

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