भाजपा के सहयोगियों की नाराज़गी का फायदा उठाने के चक्कर में बहन मायावती!

अमित द्विवेदी

नोट बंदी के मामले ने पूरे देश में तहलका सा मचा कर रख दिया है। केंद्र सरकार द्वारा लिए गये इस फैसले पर विपक्ष ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया और सत्ता पक्ष से यह कहा कि उसे स्वीकारना होगा कि भले ही उनका उद्देश्य अच्छा हो, लेकिन इससे आम लोग त्रस्त हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार को यह सोचना चाहिए कि आखिर उनके साथी भी क्यों उनके विरोध में हैं। 

आज मायावती ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया फैसला है, जिससे आम आदमी परेशान है। कालाधन पर अंकुश हम भी चाहते हैं, लेकिन सरकार ने जिस तरह इस फैसले को लागू किया वह गलत है।

मायावती ने शिवसेना और अकाली दल की ओर रुख करते हुए कहा कि आज शिवसेना और अकाली दल पछता रहे होंगे कि उन्होंने गलत लोगों का साथ दे दिया। मायावती ने कहा,” जहां शिवसेना यह सोच रही होगी हम कहां आ गये, वहीं अकाली दल यह सोच रहा होगा कि हमारी बहन उधर बैठी है और हम…” बात को अधूरा छोड़ती मायावती की इस पंक्ति ने साबित कर दिया कि वे कितनी चालांक राजनेता हैं। उन्होंने इन पंक्तियों के जरिये शिवसेना और अकालीदल को अपने साथ लाने की कोशिश की है, क्योंकि वे यह जानती हैं कि ये दोनों पार्टियां सरकार के इस फैसले से नाराज हैं और उन्होंने आज नोटबंदी के खिलाफ आयोजित विरोध मार्च में ममता बनर्जी का साथ दिया।

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