अनुज हनुमत,
चित्रकूट: नोटबन्दी के फैसले को एक महीने से ऊपर का समय हो गया है, लेकिन अभी भी बैंको की स्थिति जस की तस है। चित्रकूट जिला मुख्यालय भी इससे अछूता नहीं है। सबसे ज्यादा बुरी दशा इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंको की है, जहाँ कई दिनों से लगातार कैश की समस्या आ रही है।
बैंक कर्मचारियों के अनुसार, पिछले हफ्ते के गुरूवार से बैंकों में कैश नहीं आ रहा है। आपको बता दें कि दो दिनों की छुट्टी के बाद कल तमाम बैंक खुले थे, लेकिन जैसे ही लोग यूपी ग्रामीण बैंक पहुंचे, उन्हें बताया गया कि कैश ही नहीं है।
फिलहाल 500 और 1000 की बड़ी नोटों के बंद होने के कारण किसानों और मजदूरों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही चित्रकूट के एक किसान बालम 40 किमी दूर से इस उम्मीद में बैंक आये थे कि आज तो पैसा निकल ही जायेगा, लेकिन उन्हें निराश ही होना पड़ा। उन्होंने बताया कि हम एक हफ्ते से लगातार बैंक आ रहे हैं, लेकिन रोजाना बैंक वाले कहते हैं कि कैश नहीं है। उन्होंने बताया कि ये समय रबी की फसल का समय है और अगर जल्दी ही पैसा नहीं निकला तो फसल सूख जायेगी, क्योंकि बिना पैसे के हम कुछ खरीद भी नहीं पा रहे हैं।
इसी प्रकार किसान रामकिशन तो मानते हैं कि सरकार का नोटबन्दी का फैसला तो सही है लेकिन तैयारी में कुछ कमी रह गई। उन्होंने बताया कि जो पैसा बचा था उसे भी इस डर से जल्दी जमा कर दिया कि कहीं ख़राब न हो जाये, लेकिन अब रोजाना घर से बैंक आने जाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।
वैसे ये स्थिति सिर्फ बालम या रामकिशन की ही नहीं है, बल्कि इस समय उन तमाम किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी छोटी पूंजी बैंक में है और किसानी का कार्य प्रभावित हो रहा है। ग्रामीण बैंको का आलम तो ये है कि लोगों को रोज रोज बैंको के चक्कर काटने पड़ते हैं। अधिकांश किसान सरकार के फैसले से तो खुश हैं, लेकिन उनका भी मानना है कि सरकार को और तैयारी के साथ ये नियम लागू करना चाहिये था।
एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि बैंको में कैश बड़ी मात्रा में पहुँचाया जा रहा है, लेकिन वास्तव में बैंको में कैश नहीं पहुँच पा रहा है और दूसरी तरफ देश के अधिकांश स्थानों से नई करेंसी भी बरामद हो रही है। ऐसे में जनता के सामने सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि आखिर कैश जा कहाँ रहा है!