AnandDwivedi@Navpravah.com
समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार सुबह दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. गत रात्रि शनिवार को उत्तराखंड के राजनीतिक संकट पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक हुई और उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश भी की गई. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देर रात राष्ट्रपति को राज्य की स्थिति के बारे में सूचना दी.
राज्य में कांग्रेस के 9 विधायकों के बागी हो जाने के बाद मुसीबत में फंसी हरीश रावत सरकार को 28 मार्च को बहुमत साबित करना था. विधानसभा के 70 विधायकों में कांग्रेस के 36 विधायक थे जिनमें से 9बाग़ी हो गये . भाजपा के 28 विधायक हैं जिनमें से एक निलंबित किये जा चुके हैं . BSP के 2, निर्दलीय तीन और एक विधायक उत्तराखंड क्रांति दल का है.
इस सबसे पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री रावत ने भाजपा पर लगातार राष्ट्रपति शासन लगवाने की धमकी दी जा रही है ऐसा आरोप मढ़ा था. रावत के अनुसार, “अहंकार में चूर केंद्र का प्रशासक दल एक छोटे से सीमांत राज्य को राष्ट्रपति शासन लागू करने की धमकी दे रहा है.”
रावत ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करने के विषय में संविधान में ख़ास अनुच्छेद हैं और एक प्रक्रिया है जो न्यायालयीन निर्णयों पर आधारित है. उनका कहना था कि देश के समस्त प्रदेशों ने इन प्रक्रियाओं का सम्मान किया है.
उधर पीटीआई के अनुसार वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि , “उत्तराखंड राज्य शासकीय व्यवस्था के चरमराने का असली उदाहरण है और संविधान के लिहाज से जो कुछ भी गलत हो सकता था वो वहां हुआ है. आप दिए गए बहुमत सिद्धि काल को प्रलोभन देने और रिश्वत देने में इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि संविधान का सरासर उल्लंघन है.”