एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
डिप्रेशन के इलाज के बाद सिर्फ 20 फीसदी युवा लंबे समय तक सामान्य जीवन जी पाते हैं। एक शोध में ऐसे 319 युवाओं को शामिल किया गया, जो अलगाव, सामाजिक या सामान्य चिंता के विकारों से ग्रस्त थे।
इनकी आयु 10 से 25 साल के बीच थी, यह शोध ‘अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकेट्री’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। अमेरिका के कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से संबद्ध शोध की सह लेखक गोल्डा गिंसबर्ग ने कहा,जब आप पाते हैं कि हमारे द्वारा दिया गए बेहतरीन इलाज का कुछ बच्चों पर असर नहीं पड़ा तो यह हतोत्साहित करता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि नियमित मानसिक स्वास्थ्य की जांच वर्तमान मॉडल की तुलना में डिप्रेशन का इलाज करने का बेहतर तरीका है। इस शोध के लिए प्रतिभागियों को साक्ष्य आधारित इलाज दिया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अन्य अध्ययनों में एक, दो, पांच या 10 सालों पर असर की सिर्फ एक जांच की गई। यह पहला अध्ययन है, जिसमें युवाओं के डिप्रेशन का इलाज हर साल लगातार चाल साल तक किया गया।
अनवरत जांच करते रहने का मतलब है कि शोधकर्ता एक बार ठीक होकर फिर बीमार पड़ने वाले मरीजों के साथ चिंताग्रस्त रहने वाले व सही अवस्था में रहने वालों की पहचान कर सकते हैं।