रिसर्च: कॉलेज का हर पांच में से एक छात्र है डिप्रेशन का शिकार, पढ़िए

सौम्या केसरवानी | Navpravah.com

आजकल युवा इन दिनों बहुत गंभीर खतरे के साए में हैं। ये खतरा है तनाव या डिप्रेशन का जो ज्यादातर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों में को अपनी चपेट में ले रहा है। इससे कई और तरह की बीमारियों का जन्म हो रहा है। ‘सेंटर फॉर कॉलीगिएट मेंटल हेल्थ रिपोर्ट’ में ये समाने आया है कि मौजूदा समय में कॉलेज में पढ़ने वाले सबसे ज्यादा छात्र चिंता और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं और काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं।

डॉ. सागर का कहना है कि कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र और छात्राएं आजकल जल्दी तनाव का शिकार हो रहे हैं। आज के खान-पान रहन-सहन आदि कई वजह है डिप्रेशन के। डॉ. सागर बताते हैं कि छात्रों में निराशा की मख्य वजहें हैं-

मौजूदा दौर में तकनीक में हो रहे बदलाव, युवाओं की दिमागी परेशानी का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं। इसमें सबसे पहले आता है सोशल मीडिया। सोशल मीडिया पर पूरे समय चिपके रहने वाले बच्चे दुनिया और हकीकत के बीच लगातार लड़ाई लड़ते रहते हैं।डॉ. ने बताया कि इसके अलावा स्मार्टफोन एजडिक्शन भी छात्रों में नींद की दिक्कत, निराशा, तनाव और चिंता बढ़ाता है। 50 प्रतिशत कॉलेज छात्र देर रात नींद से जागकर मैसेज का रिप्लाई करते हैं।

डॉ. ने कहा कि युवाओं में तनाव का मुख्य कारण मादक पदार्थ, ड्रग्स व नशीली दवायें भी हैं। क्योंकि आजकल ये सब आराम से मिलने लगा है, जिससे इसका सेवन बढ़ गया है और युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। धीरे-धीरे इसकी लत लग जाती है। डॉ. का कहना है कि मेरे पास आये दिन ऐसे केस आते हैं, जो नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं और उन्हें अच्छी गाइडेन्स और मेडिसिन देनी पड़ती है, ताकि वो जल्दी रिकवर हो सकें।

डॉ. बताते हैं कि कॉलेज के कई छात्रों को घर से बाहर पढ़ने पर घर की याद और घरवालों से अलग होना बार-बार परेशान करता है और ये कारण तो बरसों पुराना है, ऐसे में भी छात्रों में चिंता और डिप्रेशन जल्दी पनपने लगता है, क्योंकि उन्हें लगता है अगर वो घर वालों की उम्मीद को न पूरा कर सकेगें तो क्या होगा। 8 घंटे से कम नींद लेने से भी छात्र डिप्रेशन का शिकार होते हैं। डॉ. बताते है कि आजकल सबकी दिनचर्या फिक्स नही रहती है जिसके कारण नींद नही पूरी होती और ये तनाव का कारण बनते हैं।

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