जानिए: अब MP में सीएम बनने की होड़ हुई तेजी, ये तीन चहरे है प्रमुख दावेदार

नई दिल्ली।। मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ के इस्तीफे की पेशकश के साथ ही वहां पर नई सरकार के गठन के लिए बीजेपी नेताओं के नामों पर चर्चा तेज हो गई है। मध्य प्रदेश में सरकार को लेकर चल रही उठापठक का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। कमलनाथ ने राज्यपाल को इस्तीफा देने की पेशकश कर दी, इसी के साथ अब मध्य प्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अब भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए तीन नामों पर प्रमुख रूप से चर्चा चल रही है। इनमें शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा है, जहां शुक्रवार को उनके नाम पर मौहर लग सकती है। इसके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा भी सीएम बनने की रेस में शामिल हैं।

आपको बता दे, कि जिस तरह से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने अब तक सभी मोर्चो में आगे किया हुआ है, उसी तरह सरकार बनने पर प्रदेश की कमान भी उन्हें सौंपी जा सकती है। ऐसा हुआ तो चौहान प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले राजनेता होंगे। चौहान को सीएम की दावेदारी में पहले स्थान पर रखने वालों का दावा है कि प्रदेश में बड़ी तादाद में उपचुनाव होना है, ऐसी परिस्थितियों में चौहान ही उपचुनाव में विजय दिलवा सकते हैं।

बीजेपी सरकार के दौरान लंबे समय तक संकटमोचक की जिम्मेदारी निभाने वाले पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। मिश्रा पहले भी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष और मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल रहे हैं। कुछ समय पहले तक नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान के बीच गहरे मतभेद रहे हैं लेकिन सरकार के लिए जोड़-तोड़ के दौरान दोनों नेताओं के बीच अघोषित समझौता हो गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक चुनाव के बाद भी शिवराज ने नरोत्तम के नाम का विरोध किया था और इसी वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद गोपाल भार्गव को दिया गया। मिश्रा का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी प्रस्तावित था लेकिन RSS के करीबी माने जाने वाले वीडी शर्मा को जिम्मेदारी मिली।

मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री पद संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। तोमर पहले भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे दो बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। कार्यकर्ताओं और विधायकों से भी तोमर का गहरा नाता है। जहां आगे उपचुनाव होना हैं, उनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं। तोमर भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए पार्टी उन पर भी दांव लगा सकती है।

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