अमित द्विवेदी | navpravah.com
प्रख्यात अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने भारत को कोरोना संकट के बाद संभावित आर्थिक मंदी से उबरने का उपाय सुझाया है। पनगढ़िया ने कहा कि भारत इस संकट को भी अवसर में बदल सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को कोरोना संकट का फायदा उठाते हुए चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों को अपने यहां आकर्षित करना चाहिए।
अर्थशास्त्री अरविन्द पनगढ़िया ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संभव है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से अपने ऑपरेशन को दूसरी जगह ले जाएं, जिसका भारत को फायदा उठाना चाहिए और औपचारिक क्षेत्र में अच्छे वेतन वाली नौकरियां तैयार करने के लिए दीर्घकालिक सोच के साथ काम करना चाहिए।
आप को बताते चलें कि नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया फिलहाल कोलंबिया विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स के प्राध्यापक हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा संकट ने यह उजागर किया है कि किसी ऐसे झटके से भारतीय श्रमिक कितने असुरक्षित हैं। इस सम्बन्ध में पनगढ़िया ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘अब दूर की सोचने का समय है। संकट को व्यर्थ गंवा देना ठीक नहीं होगा। टीका उपलब्ध होने के बाद ही मौजूदा संकट खत्म होगा। निश्चित रूप से हमें उससे आगे सोचना होगा।’
चीन के व्यवहार से रोष में कम्पनियाँ-
कोरोना संकट के दौरान जिस तरह का व्यवहार चीन ने किया है, उससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के प्रति कई देशों में रोष व्याप्त है। पनगढ़िया ने कहा कि अब ज्यादातर जानकार यह मानने लगे हैं कि कोरोना के बाद वाले दौर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग और अन्य ऑपरेशन चीन से हटाना चाहेंगी और यह भारत जैसे उसके पड़ोसी देशों के लिए एक बड़ा मौका है।
एक निजी मीडिया हाउस ने अपनी एक खबर में स्पष्ट किया है कि कोरोना वाइरस की वजह से चीन में कंपनियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है, जिससे कंपनियों ने चीन की जगह भारत को अपना केंद्र बनाने का सोचा है। इस माहौल में लगभग 1000 विदेशी कंपनियां भारत में एंट्री की सोच रही हैं। इनमें से करीब 300 कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाने को लेकर पूरी तरह से मूड बना चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक़, इस संबंध में सरकार के अधिकारियों से बातचीत भी चल रही है।