पिछले साल के बजट में हुए आवंटन का लेखा-जोखा इकोनॉमिक सर्वे को आज वित्त मंत्री ने संसद में पेश कर दिया है। इसमें वित्त वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.75 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 भारतीय इकोनॉमी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। सर्वे में कहा गया है कि एक्सपोर्ट सेक्टर से इकोनॉमी को बूस्ट मिलने की उम्मीद की जा रही है।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां खड़ी हुईं। इस नई कर व्यवस्था ने न सिर्फ सरकार की नीतियों के सामने चुनौती पेश की, बल्कि इसकी वजह से सूचना प्रसारण तकनीक के लिए भी राह मुश्किल रही है। जीएसटी लागू होने के बाद यह मोदी सरकार का पहला बजट है। इस बजट में सरकार सैलरी पाने वालों को स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट दे सकती है। इसका मतलब है कि इनवेस्टमेंट पर टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
आम बजट में सरकार टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने के साथ-साथ टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। अभी 2.5 लाख रुपए सालाना कमाने वालों से कोई टैक्स नहीं लिया जाता है, पर अब सरकार इसे 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर सकती है।
इस बजट में टैक्स स्लैब के साथ ही प्रत्यक्ष कर में भी बदलाव हो सकता है। आय के लिए सरकार के पास प्रत्यक्ष कर एक बड़ा स्रोत है। जीएसटी के पहले प्रत्यक्ष कर का योगदान कुल टैक्स कलेक्शन में 52% था और नोटबंदी के बाद लोगों में टैक्स भरने की जागरुकता बढ़ी। 15 जनवरी तक साल 2017-18 का कुल टैक्स कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले 18.7% बढ़कर 6.89 लाख करोड़ पहुंच गया।
आर्थिक सर्वेक्षण अथवा इकोनॉमिक सर्वे पिछले साल बांटे गए खर्चों का लेखाजोखा तैयार करता है। इससे पता चलता है कि सरकार ने पिछले साल कहां-कहां कितना खर्च किया और बजट में की गई घोषणाओं को कितनी सफलतापूर्वक निभाया गया है।