लाइफस्टाइल डेस्क। पिछले महीने की 5 तारीख को आपको पीरियड्स हुए थे। इस महीने 13 तारीख हो गई। अभी तक नहीं हुए। कहीं आप प्रेग्नेंट तो नहीं। आपका लास्ट पीरियड पिछले महीने की 16 तारीख को हुआ था। नॉक-नॉक। अगला बस आने ही वाला है।
आपके पीरियड की डेट के मुताबिक ये ओव्यूलेशन टाइम चल रहा है। पीरियड ट्रैकर का अलार्म तो कल रात से दो बार बजकर आपको आगाह कर चुका।
आप सोच रही होंगी, मयतारीख ये सब यहां क्यों लिखना। ये तो बड़ी निजी किस्म की बातें हैं, जो सिर्फ आप जानती हैं या ज्यादा से ज्यादा आपका पार्टनर। फिर हमें कैसे पता।
हमें ऐसे पता चला कि कोई तो है, जिससे आपने ये सारी इतनी निजी जानकारियां साझा की थीं। इस भरोसे पर कि ये बात सिर्फ आपके और उसके बीच ही रहेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आपने भरोसा कर उसे बताया, उसने जाकर किसी और को बता दिया। अब आपकी प्राइवेट बात प्राइवेट नहीं रही। उसे सब पता है, आपके आखिरी पीरियड कब आए, कब वक्त से पहले आए, कब वक्त से देर से, कब आपने सेक्स किया, कब आप प्रेग्नेंट हुईं या नहीं हुईं।
आपका ये भरोसेमंद दोस्त है आपके मोबाइल में इंस्टॉल किया हुआ पीरियड ट्रैकर एप और उसने ये सारी निजी जानकारी दे दी है Facebok को।
एक ऐप, जिसे एक दिन आपने अपनी सुविधा के लिए फोन में इंस्टॉल किया था। खुद पीरियड की तारीख याद नहीं रहती तो सोचा कि ऐप सब याद रखेगा और याद दिलाएगा। लेकिन वो तो आपकी सारी प्राइवेट बातें Facebok को बता रहा है। बज फीड में छपी एक रिपोर्ट ये कह रही है।
यूके की जारी एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे दो मेन्सुट्रुएशन ट्रैकिंग ऐप माया और एमआईए ने लाखों औरतों के शरीर और उनके पीरियड साइकिल से जुड़ा बहुत निजी डेटा Facebok को बेच दिया ताकि एडवर्टाइजिंग कंपनियां इस डेटा की मदद से इन औरतों को टारगेट कर सकें।
डेटा का बाजार और व्यापार उससे कहीं ज्यादा बड़ा है, जितना हम अपने मोबाइल और कंप्यूटर के छोटी सी दुनिया में टहलते हुए सोच पा रहे हैं। डेटा इस दुनिया का सबसे महंगा प्रोडक्ट है। जिसके पास डेटा है, वो सबसे ज्यादा अमीर है। दुनिया की बड़ी कंपनियों अरबों डॉलर इस डेटा को जुटाने और सुरक्षित रखने के लिए खर्च कर रही हैं।
वैसे तो हमें ये भी लगता है कि खरबों लोगों की इस दुनिया में एक मामूली से इंसान की जिंदगी से जुड़ी बातों की क्या अहमियत है। कोई जान भी जाए हमारे पीरियड, मेन्सट्रुएशन, ओव्यूलेशन और सेक्स की तारीखें तो क्या फर्क पड़ता है। लेकिन सच तो ये है कि बात इतनी सीधी है भी नहीं।