मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के मंत्रियों के तौर पर राधाकृष्ण विखे पाटिल और दो अन्य मंत्रियों की नियुक्ति रद्द करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, न्यायालय ने यह भी कहा है कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी नियुक्तियां नैतिक रूप से सही नहीं है।
बता दें की पाटिल पहले कांग्रेस पार्टी में थे। वह कैबिनेट विस्तार से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्हें देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री बनाया गया है।
याचिकाकर्ताओं की यह थी मांग
मुंबई के सुरेंद्र अरोड़ा, संजय काले और संदीप कुलकर्णी की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्ययामूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि राधाकृष्ण विखे पाटिल कांग्रेस से भाजपा में और जयदत्त क्षीरसागर राकांपा से शिवसेना में शामिल हुए और उन्हें कुछ ही दिनों में मंत्री बना दिया गया।
संविधान के अनुसार दलबदल के आधार पर इन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए और उनकी 6 महीने के अंदर निर्वाचित होने की भी कोई मंशा नहीं है। याचिका में आरपीआई (ए) के अविनाश महातेकर के मंत्रिपद को भी रद्द करने की मांग की गई थी।
इस याचिका पर न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ में सुनवाई हुई और यह फैसला दिया गया।