देहरादून के रणवीर फर्जी एनकाउंटर मामले में दिल्ली हाइकोर्ट ने उत्तराखंड पुलिस के 7 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया है और 11 अन्य पुलिसकर्मियों को इस मामले में राहत मिली है। कोर्ट ने 11 अन्य पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है। मृतक रणवीर के पिता रविंदर पाल ने हाईकोर्ट के फ़ैसले पर दुःख जाहिर करते हुए कहा है कि इस फैसले से वो खुश नही हैं और आदेश को देखने के बाद उनकी कानूनी लड़ाई आगे भी जारी रखेगें।
तीस हजारी कोर्ट ने 6 जून 2014 में 17 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण, सुबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने व उसे अंजाम देने के मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं एक आरोपी जसपाल सिंह गोसांई को हत्या, अपहरण व सुबूत मिटाने के मामले में बरी कर दिया था। हालांकि अदालत ने गोसांई को आईपीसी की धारा 218 के तहत गलत सरकारी रिकार्ड तैयार करने के मामले में दोषी करार दिया था। इस मुठभेड में पुलिस ने रणवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। 5 जुलाई 2009 को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस द्वारा दिखाई गई बहादुरी की पोल पट्टी खोल दी थी और मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे। गाजियाबाद के रहने वाले 22 साल के रणबीर सिंह की अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। वह नौकरी की तलाश में देहरादून गया था। हत्या के लिए दोषी ठहराए गए लोगों में उप निरीक्षक संतोष कुमार जायसवाल, गोपाल दत्त भट्ट (थाना प्रभारी), राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन चौहान, चंद्रमोहन सिंह रावत एवं कांस्टेबल अजीत सिंह शामिल हैं।