इस्लामाबाद. वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के तीन सदस्य देशों ने ‘ब्लैक’ सूची में जाने से बचा लिया। इसमें एक चीन भी है। मीडिया रिपोर्ट से जानकारी मिली।
पाक एफएटीएफ के सदस्य देशों से समर्थन हासिल करने के लिए लगातार कूटनीतिक कोशिश कर रहा था, जिसके बाद तुर्की, चीन व मलेशिया का समर्थन पाने में कामयाब रहा। पाकिस्तान अभी बच तो गया, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है क्योंकि संस्था इस साल अक्तूबर में आधिकारिक तौर पर अपना फैसला सुनाएगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
ब्रिटेन की यात्रा पर गए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया कि ब्रिटेन ने पाकिस्तान के ‘ग्रे’ सूची से बाहर निकलने के प्रयासों का समर्थन करने पर सहमति दी है। नियम के मुताबिक, ब्लैक सूची में जाने से बचने के लिए कम से कम तीन सदस्य देशों का समर्थन मिलना जरूरी है। जबकि ‘ग्रे’ सूची से बाहर आने के लिए 36 वोटों में से 15 वोट मिलने जरूरी हैं।
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स(एफएटीएफ) ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को वित्तपोषण पर अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में विफल रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्टूबर तक अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है जिसके तहत उसे काली सूची में डाला जा सकता है।
फ्लोरिडा के ओरलैंडो में अपनी पूर्ण बैठक के समापन पर जारी एक बयान में, एफएटीएफ ने चिंता व्यक्त की कि ”न केवल पाकिस्तान जनवरी की समय सीमा के साथ अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में विफल रहा, बल्कि वह मई 2019 तक भी अपनी कार्य योजना को पूरा करने में भी विफल रहा है। एफएटीएफ ने ”कड़ाई से पाकिस्तान से अक्टूबर 2019 तक अपनी कार्ययोजना को पूरा करने का अनुरोध किया।